Bangladesh Hilsa export to India: बांग्लादेश में यूनुस सरकार ने हिल्सा कूटनीति को फिर से पटरी पर ला दिया है. शनिवार को अंतरिम सरकार ने भारत को 3000 टन हिल्सा मछली निर्यात करने की मंजूरी दे दी. बता दें कि कुछ ही दिनों पहले ही अंतरिम सरकार ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को हिल्सा निर्यात पर बैन लगा दिया था. बांग्लादेश के मछली और पशु संसाधन मंत्रालय की सलाहकार फरीदा अख्तर के बंगाल के सबसे बड़े त्योहार से पहले हिल्सा व्यापार की अनुमति की परंपरा को खारिज कर दिया था. इससे बांग्लादेश द्वारा अपने पड़ोसी के प्रति ‘सद्भावना संकेत’ के रूप में लंबे समय से चली आ रही परंपरा खत्म हो गई थी.
वर्षों से चली आ रही परंपरा
वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि निर्यातकों की अपील को देखते हुए दुर्गा पूजा के मौके पर विशिष्ट शर्तों को पूरा करते हुए भारत को 3,000 टन हिल्सा मछली निर्यात करने की मंजूरी दे दी गई है. मंत्रालय ने आवेदकों से निर्यात की अनुमति प्राप्त करने के लिए संबंधित शाखा से संपर्क करने के लिए कहा. बता दें कि पूर्व पीएम शेख हसीना के नेतृत्व वाली पिछली अवामी लीग सरकार ने सद्भावना के तौर पर हर साल सितंबर और अक्टूबर के महीने में भारत को हिल्सा निर्यात की इजाजत देती थी. वर्षों से यह परंपरा से चली आ रही थी.
3 हजार टन हिल्सा निर्यात की मंजूरी
मछली आयातक संघ (एफआईए) सचिव सैयद अनवर मकसूद ने बताया कि बांग्लादेश ने भारत को 3 हजार टन हिल्सा निर्यात करने की मंजूरी दे दी है. यह आदेश 25 सितंबर को जारी होने की उम्मीद है और पहली खेप अगले दिन बेनापोल-पेट्रापोल भूमि सीमा पार करके कोलकाता पहुंच सकती है.
बंगालियों का पसंदीदा व्यंजक है हिल्सा
बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा हिल्सा उत्पादक है, लेकिन स्थानीय मांग अधिक होने के वजह से वह हिल्सा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है. हालांकि, दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान, वह आमतौर पर इस मछली के निर्यात पर प्रतिबंध में ढील देता है, जो बंगालियों का एक बहुत पसंदीदा व्यंजन है.
इस महीने की शुरुआत में भारत के मछली आयातक संघ ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से दुर्गा पूजा में भारत को हिल्सा मछली के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया था. एसोसिएशन के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने 9 सितंबर को लिखे पत्र में बताया कि बांग्लादेश ने 2012 में हिल्सा के निर्यात पर बैन लगा दिया था, लेकिन पिछले पांच वर्षों से सद्भावना के रूप में वह सितंबर के पहले सप्ताह से दुर्गा पूजा के अंत तक सीमित मात्रा में इसके निर्यात की अनुमति दे रहा है.
ये भी पढ़ें :- कौन होगा श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति? शुरुआती रुझानों में जीत की ओर बढ़ा ये उम्मीदवार