India-France Relation: भारत को अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए फ्रांस ने बड़ी मदद की पेशकश की है. इस महीने की अंत में दोनों देशों के बीच बड़ी डील हो सकती है. फ्रांस ने भारत को परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण में मदद करने और 110 किलो-न्यूटन थ्रस्ट विमान इंजन और अंडरवाटर ड्रोन तकनीक के 100 प्रतिशत ट्रांसफर का ऑफर दिया है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस महीने के आखिर में पेरिस जाने वाले हैं. भारत और फ्रांस के बीच पेरिस में 30 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच बैठक होगी. इस दौरान एनएसए डोभाल और इमैनुएल मैक्रों के राजनयिक सलाहकार के बीच भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता में इन मुद्दों पर बात होगी.
परमाणु पनडुब्बी की पेशकश
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और फ्रांस पहले से ही कई क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं. इसमें अंतरिक्ष तकनीक एक अहम क्षेत्र है. परमाणु पनडुब्बियों पर फ्रांस की पेशकश ऐसे समय में आई है जब भारतीय नौसेना भविष्य को देखते हुए परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों के निर्माण पर काम कर रही है. फ्रांस ने भारत को हवा, जमीन और अंडरवाटर पूर्ण स्पेक्ट्रम स्वायत्त सिस्टम की भी पेशकश की है. ये भारत की आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) क्षमताओं को बढ़ाने और पनडुब्बियों जैसी नौसैनिक संपत्तियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण साबित होगी.
फाइटर जेट पर भी होगी बातचीत
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों की भारत यात्रा के बाद दोनों देशों में यह पहली द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी है. अजित डोभाल पेरिस में सफ्रान इंजन के चेयरमैन रॉस मैकइन्स से मिलकर उनके हाल ही में भारत सरकार को दिए गए प्रस्ताव पर भी बातचीत करेंगे. सफ्रान ने भारत को भविष्य के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) प्रोजेक्ट के लिए 110 केएन इंजनों को मिलकर बनाने की पेशकश की है. ये इंजन भारत की संप्रभु संपत्ति होगी, जिसे वह बिना किसी प्रतिबंध के तीसरे देशों को बेच सकता है. सफ्रान ने भविष्य में AMCA के नए संस्करणों के लिए इस लड़ाकू जेट इंजन को अपग्रेड करने में भारत को मदद करने का ऑफर दिया है.
फ्रांस लंबे समय से भारत के लिए उन्नत हथियारों का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता रहा है. यह पार्टनरशिप भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के लिए केंद्रीय है. फ्रांस और भारत ने हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंडो-पैसिफिक में सहयोग को गहरा करने का भी फैसला किया है. फ्रांस से मिले तकनीक की मदद से भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई ताकत चीन और पाकिस्तान की टेंशन बढ़ा सकती है.
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