Saudi Arabia: सऊदी अरब में एक रिटायर्ड शिक्षक मोहम्मद अल-घामदी को सरकार की आलोचना करने के आरोप में कोर्ट ने 30 साल की जेल की सजा सुनाई है. यह सजा उनके मौत की सजा को खत्म किए जाने के करीब दो महीने बाद आई है. इसकी जानकारी मंगलवार को उनके भाई सईद अल-घामदी ने दी.
मौत की सजा का उलटफेर
दरअसल, मोहम्मद अल-घामदी को जुलाई 2023 में विशेष आपराधिक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. इस अदालत साल 2008 के दौरान आतंकवाद से संबंधित मामलों को देखने के लिए स्थापित किया गया था. हालांकि, अगस्त के महीने में मोहम्मद अल-घामदी के मौत की सजा को अपील में उलट दिया गया था, लेकिन अब उन्हें 30 साल की जेल की सजा सुनाई गई है.
सोशल मीडिया पर आलोचना
मोहम्मद अल-घामदी के भाई एक इस्लामी विद्वान हैं, जो ब्रिटेन में रहते हैं. उन्होंने बताया कि मोहम्मद अल-घामदी ने सरकार की आलोचना की और “जमानत पर रिहा हुए कैदियों” का समर्थन किया था.मोहम्मद अल-घामदी के सोशल मीडिया पर महज नौ अनुयायी थे. वहीं, उनके खिलाफ आरोपों में सऊदी नेतृत्व के खिलाफ साजिश, राज्य संस्थानों को कमजोर करना और आतंकवादी विचारधारा का समर्थन करना शामिल था.
देश में स्वतंत्रता की कमी का एक उदाहरण
सईद अल-घामदी ने कहा कि कोर्ट के इन फैसलों में बदलाव यह दर्शाता है कि किंगडम की राजनीतिकरण की गई न्यायिक प्रणाली कितनी नाटकीय है. यह मामला सऊदी अरब में बढ़ती राजनीतिक दमन और स्वतंत्रता की कमी का एक उदाहरण है.
वहीं, मोहम्मद अल-घामदी की सजा इस बात की पुष्टि करती है कि कैसे सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है. ऐसे में अब यह देखना बाकी है कि क्या यह सजा सऊदी समाज में स्वतंत्रता की आवाज को दबा पाएगी या नहीं.
इसे भी पढें:-विदेश मंत्री डा. एस. जयशंकर ने भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर की बात, जानिए क्या कहा…