World Heart Day: जानिए क्या है हार्ट अटैक का 'गोल्डन टाइम',  30 साल के लोग रहें सावधान

दुनियाभर में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहा है. इसका खतरा हर उम्र के लोगों को है. बहुत कम उम्र में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से लाखों लोगों की मौत हो जाती है. इसमें बड़ी संख्या में 30 से कम उम्र वाले लोग हैं.

दरअसल, कोरोना के बाद इसका खतरा और बढ़ा है. विशेषज्ञों की मानें, तो सभी लोग हार्ट हेल्थ को गंभीरता से लें. चौंकाने वाली बात ये है कि जिम करते-करते भी लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मानें, तो हृदय रोगों से मौत के बढ़ते आंकड़े चिंताजनक हैं. अगर समय रहते संकेतों को गंभीरता से लिया जाए, सीपीआर व आपातकालीन चिकित्सा उपलब्ध हो सके, तो कई जान बच सकती है.

हृदय रोग और इससे संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल  29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है.

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसे मामलों में हर एक मिनट की कीमत होती है, 'गोल्डन टाइम' पर अगर स्थिति समझ में आ जाए तो इससे जानलेवा जोखिमों को कम किया जा सकता है.

मामले में विशेषज्ञ ने बताया कि हार्ट अटैक होने पर 'गोल्डन टाइम' बहुत महत्वपूर्ण है. ये दिल का दौरा पड़ने के बाद के पहले 60 मिनट होते हैं, जिसमें तत्काल चिकित्सा सहायता मिलना सबसे महत्वपूर्ण होता है. 

हार्ट अटैक-कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में लक्षणों की समय पर पहचान कर सीपीआर देने से जान बचने की संभावना 60-70 फीसदी तक बढ़ जाती है.

आपको बता दें कि सीपीआर के साथ ही पीड़ित को समय रहते आपातकालीन चिकित्सा प्रदान करना नितांत आवश्यक है.