Batagaika Crater: साइबेरिया के ‘नर्क का द्वार’ में हो रहा तेजी से विस्तार, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Gateway to hell: “नर्क का द्वार” एक ऐसा शब्द है जो धार्मिक ग्रंथों, पुरानी कथा-कहानियों हर जगह ही सुनने को मिलता है, लेकिन हर जगह इनका अर्थ अलग-अलग होता है. मगर क्‍या आपने कभी सोचा है कि क्‍या सच में नर्क का द्वार होता है या ये केवल एक मिथ्‍या है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है? तो चलिए आज आपके इन सारे सवालों के बारे में विस्‍तार से जानते है.

दरअसल, कुछ समय पहले वैज्ञानिकों ने उत्तरी साइबेरिया में एक जगह की पहचान की है, जिसे “नर्क का द्वार” कहा जाता है, जिसने आज के समय में वैज्ञानिको को भी परेशान कर रखा है, क्‍योंकि इस द्वार का लगातार विस्‍तार हो रहा है, जो आने वाले समय में कई सारी समस्‍याओं को जन्‍म दे सकता है. यही वजह है कि इसे लेकर वैज्ञानिको की भी चिंता बढ़ी हुई है.

क्या है साइबेरिया में मौजूद नर्क का द्वार?

बता दें ये ‘नर्क का द्वार’ नाकम सिंकहोल साइबेरिया में मौजूद है. इसे बातागाइका क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है. इसका निर्माण परमाफ्रॉस्ट के पिघलने के कारण हुआ है. परमाफ्रॉस्ट जमीन की वह परत होती है जो साल भर जमी रहती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने से यह परमाफ्रॉस्ट पिघल रहा है, जिसके जमीन धंस रही है और बड़े-बड़े गड्ढे बन रहे हैं.

कई बीमारियों के फैलने का खतरा

ऐसे में वैज्ञानिको का कहना है कि जलवायु परिवर्तन होने के वजह से ये तेजी से फैल रहा है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. वैज्ञानिको के मुताबिक, इस समय य‍ह सिंकहोल कई सौ मीटर मीटर चौड़ा और गहरा हो चुका है. दरअसल परमाफ्रॉस्ट में बड़ी मात्रा में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसें फंसी हुई हैं. ऐसे मे जब परमाफ्रॉस्ट पिघलता है, तो ये गैसें वायुमंडल में छूटती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती है. साथ ही कई सूक्ष्मजीव और वायरस एक्टिव हो जाते है, जिससे बीमारियों का प्रकोप फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

ग्‍लोबल वार्मिंग को रोकना आवश्‍यक

इतना ही नहीं, परमाफ्रॉस्ट के पिघलने से जमीन अस्थिर हो जाती है, जिससे भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में साइबेरिया में रहने वाले स्थानीय समुदायों के लिए बातागाइका क्रेटर एक बड़ा खतरा है और इसके विस्‍तार को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को रोकना सबसे जरुरी है.

यह भी पढ़ें:-अब रात में देखें सपने सुबह होंगे आपके आंखो के सामने, रिसर्चर्स के कमाल ने सभी को किया हैरान

Latest News

अब युवाओं के हाथों में भारत का भविष्य, बोले डॉ. राजेश्वर सिंह- ‘भारत को 2047 तक 15 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी… ‘

Thoughts Of Dr Rajeshwar Singh: बीजेपी के लोकप्रिय नेता एवं सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह (Rajeshwar Singh) युवाओं...

More Articles Like This