हरियाणा में BJP की ‘हैट्रिक’, हिट साबित हुआ पार्टी का सीएम बदलने वाला फार्मूला

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Haryana Assembly Election Results: हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आज सामने आ गए हैं. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है. रूझानों और परिणाम के अनुसार हरियाणा में स्पष्ट बहुमत के साथ बीजेपी सरकार में तीसरी बार वापसी करने जा रही है. आज आए नतीजों ने सभी एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों को गलत साबित कर दिया है. अभी तक के रूझानों के अनुसार हरियाणा की 90 में से 49 सीटों पर बीजेपी जीत दर्ज करने जा रही है. वहीं, 36 सीटों पर कांग्रेस बढ़त बनाए हुए है. अन्य के खाते में 3 सीटें जाती नजर आ रही हैं.

हरियाणा में बीजेपी हैट्रिक लगाने जा रही है. यह भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि होने जा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में कोई भी पार्टी लगातार तीन बार सत्ता में नहीं आई है. यह पहला मौका है जब बीजेपी ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की है. वो भी ऐसे समय में जब हाल के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 10 से केवल 05 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी की इस जीत की चर्चा देश के हर कोने में हो रही है. इस बीच बीजेपी के सीएम बदलने वाले फार्मूला की जमकर चर्चा की जा रही है.

सीएम बदलने का फार्मूला हिट

राजनीति के जानकारों का कहना है कि हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले सीएम बदलने का फार्मूला हिट साबित हुआ है. दरअसल, इसी साल मार्च के महीने में हरियाणा में बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था. चूकी जहां एक ओर मनोहर लाल खट्टर पंजाबी हैं तो वहीं नायब सिंह सैनी ओबीसी समाज से आते हैं. यह फैसला बीजेपी के लिए लाभकारी साबित हुआ.

चुनाव के बाद आए एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि बीजेपी हरियाणा से जा रही है और कांग्रेस के आने के सभी दरवाजे खुले हैं. हालांकि, जो रुझान और नतीजे आज आए हैं उसने सभी को चौंका दिया है. आज के रुझानों और परिणाम से एक बात तो साफ है कि बीजेपी 2014 और 2019 के बाद साल 2024 में भी सरकार बना रही है. ऐसा हरियाणा के इतिहास में पहली बार हो रहा है जब राज्य में लगातार तीन बार किसी एक पार्टी की सरकार बन रही है.

क्यों बनाया गया था सैनी को सीएम

दरअसल, हरियाणा के सियासत में जाट काफी अहम भूमिका निभाते हैं. किसान आंदोलन और पहलानों के आंदोलन के बाद जाट बीजेपी से नाराज थे. इस नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी ने सीएम बदलने का फैसला किया और हरियाणा की कमान एक ओबीसी नेता के हाथों में दी. वहीं, माना यह भी जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बूते कांग्रेस को ज्यादा जाट वोट मिल सकता है, हालांकि ऐसा हुआ नहीं.

लोकसभा में बीजेपी को नुकासान

इसी साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाटों के नाराजगी का खामियाजा उठाना पड़ा है. हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में बीजेपी केवल 05 सीटों पर जीतने में कामयाब हो पाई थी. हरियाणा में लोक सभाचुनाव में बीजेपी ने करनाल, फरीदाबाद, गुड़गांव, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में ही जीत दर्ज की थी. इस सीटों ओबीसी और ऊंची जातियों की अधिकता है. वहीं, जाटों के क्षेत्रों में बीजेपी को हार सामना करना पड़ा था.

जब मार्च में बीजेपी ने हरियाणा में सीएम बदला था तो इसको चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था. ऐसा इसलिए क्यों इससे पहले बीजेपी चुनाव से पहले 5 राज्यों में मुख्यमंत्री बदल चुकी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को आगे किया और उनके चेहरे पर चुनाव लड़ा और ओबीसी वोटों को साधा. इसी के साथ बीजेपी ने एंटी-इन्कंबेंसी को कम किया.

इन राज्यों मेंं बीजेपी ने बदला सीएम

साल 2021 के बाद बीजेपी ने देश के कई राज्यों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदला है. इसका भरपूर फायदा भी बीजेपी को चुनावों में मिला है. इस फैसले से बीजेपी को एंटी-इन्कंबेंसी को दूर करने में मदद भी मिली है. अगर कर्नाटक को छोड़ दें तो अन्य 4 राज्यों में बीजेपी को सीएम बदलने का भरपूर लाभ मिला है.

इन राज्यों में हिट रहा बीजेपी का फार्मूला

उत्तराखंड: साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बड़ा फैसला करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटाया और तीरथ सिंह रावत को सीएम बनायया. हालांकि 4 महीने से भी कम समय में उनको पद से हटाया गया और सीएम धामी को कमान दी गई. जिसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी को साल 2022 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 47 सीटें मिलीं.

त्रिपुरा: मार्च 2023 में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस राज्य में चुनाव से कुछ महीने पहले ही बीजेपी ने बिप्लब कुमार देब को हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया. वहीं, जब राज्य में चुनाव हुए तो बीजेपी अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही. बीजेपी को 60 में से 32 सीटों पर विजय प्राप्त हुई.

गुजरात: बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले दो बार सीएम का चेहरा बदला. दोनों ही बार बीजेपी को फायदा हुआ. साल 2017 में चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने आनंदीबेन पटेल को राज्य के सीएम पद से हटाया और विजय रूपाणी को सीएम बनाया. जिस कारण साल 2017 में बीजेपी को शानदार जीत मिली. वहीं, साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र सिंह पटेल को सीएम बनाया, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ.

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