Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जो सुख को प्रभु की कृपा समझता है, वह साधारण वैष्णव है। किन्तु जो अति दुःख में भी प्रभु की कृपा का आस्वादन करता है, वही उत्तम वैष्णव है। कौन श्रेष्ठ ? बानर को हम ‘ बन्दर ‘ कहकर चाहे कनिष्ट प्राणी गिने, किन्तु चंचल माने जाने वाले इस बानर में जितने सद्गुण एवं संयम-नियम हैं, उतने हमारे पास नहीं है।
बानर चाहे कितना भूखा हो, किन्तु रामफल या सीताफल नहीं खाता। कारण यह है कि इस फल के साथ उसके आराध्यदेव का नाम जुड़ा हुआ है। अपने आराध्यदेव के प्रति इतना आदर और स्वयं की जीभ पर इतना संयम चंचल माने जाने वाले बानर में है, किंतु हम धर्म-कर्म का पैसा खा जाने में भी संकोच नहीं करते। फिर बानर और हममें श्रेष्ठ कौन है?
हमें यदि बानर से श्रेष्ठ बनना है तो फिर संयम भी उससे अधिक होना चाहिए।जिसके जीवन में संयम नहीं और जिसके जीवन में प्रभु भक्ति का कोई नियम नहीं, उसका जीवन व्यर्थ है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).