अब स्पेस में खाना बना सकेंगे अंतरिक्ष यात्री! नई स्टडी में चौंकाने वाला दावा

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Meals in Space: अब स्‍पेस मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में ही खाना बना सकेंगे. नई स्‍टडी में इसका दावा किया गया है. दरअसल, अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खाने की चीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका खोजा है. द इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी में प्रकाशित स्‍टडी के मुताबिक, अंतरिक्ष में यात्री अपने खाने और पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एस्टेरॉयड्स का उपयोग कर सकते हैं.

चट्टानें नहीं खाएंगे एस्ट्रोनॉट्स

रिपोर्ट में बताया गया है कि वैज्ञानिक स्‍पेस में चट्टानों से कार्बन को परिवर्तित करने के लिए सूक्ष्मजीवों का इस्‍तेमाल करके अंतरिक्ष में भोजन का उत्पादन करने का एक नया तरीका खोज रहे हैं. यह विचार अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सीमित खाद्य आपूर्ति की समस्या का समाधान कर सकता है. ये बिल्‍कुल भी मतलब नहीं है कि अंतरिक्ष यात्री चट्टानें खाएंगे. शोधकर्ताओं का लक्ष्य ऐस्टेरॉयड से कार्बन को खाद्य रूपों में बदलना है.

सूखे भोजन के विकल्‍प प्रतिबंधित

स्‍पेस में सूखे भोजन को ले जाने की प्रक्रिया सीमित है और अंतरिक्ष में अभी खेती के विकसित होने की कोई संभावना नहीं है. चूंकि सूखे भोजन के विकल्प प्रतिबंधित हैं तो ऐसे में वैज्ञानिकों ने नई तरकीब ढूंढ निकाली है. वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग प्रोफेसर जोशुआ पीयर्स ने ऐस्टेरॉयड्स के साथ बैक्टीरिया का इस्‍तेमाल कर उसे खाने योग्य बनाने की बात कही है. इस पूरी प्रक्रिया में प्लास्टिक कचरे का भी इस्‍तोमल किया जाएगा.

अमेरिकी रक्षा विभाग की परियोजना से प्रेरित मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्‍ययन किया और बताया कि प्लास्टिक कचरे को तोड़कर उसे खाने योग्य भोजन में परिवर्तित किया जा सकता है. उसपर बैक्टीरिया का इस्‍तेमाल करके पौष्टिक बायोमास बनाया जा सकता है.

कैसे बनेगा स्‍पेस में खाना? 

संबंधित रिसर्च में, व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के एनीमीक वाजेन ने पाया कि पृथ्वी पर गिरे उल्कापिंडों की सामग्री पर सूक्ष्मजीव पनप सकते हैं. ऐसे डेटा का उपयोग करते हुए, डॉ. पीयर्स और उनकी टीम ने क्षुद्रग्रह बेन्नु पर फोकस किया. ऐसे प्रयोग से कार्बन सामग्री अकुशल माइक्रोबियल ब्रेकडाउन के साथ भी एस्‍ट्रोनॉट्स को 600 सालों तक जीवित रख सकती है. हालांकि, यह एक बड़ी चुनौती है. यह सुनिश्चित करने के लिए व्यापक विषाक्तता परीक्षण की जरूरत है कि उत्पादित बायोमास स्‍पेस में अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए सुरक्षित है.

डॉ. वाजेन ने परियोजना के भविष्य के बारे में टिप्पणी की. उन्‍होंने कहा कि इसे लेकर अभी भी कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं. इस बायोमास की सुरक्षा की पुष्टि करने के लिए व्यापक विषाक्तता परीक्षण जरूरी हैं.

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