Nepal climate change: नेपाल में सितंबर के अंत में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की गंभीर समस्या बनी हुई थी, जिसके वजह से करीब 240 लोगों की जान चली गई. नेपाल में इस भारी बारिश और आपदाओं की तीव्रता को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था ‘वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि नेपाल में मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा तीव्रता से बारिश हुई.
संगठन ने यह चेतावनी भी दी है कि जब तक विश्व जीवाश्म ईंधन के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल नहीं करेगा, तब तक वर्षा की मात्रा में और भी अधिक बढ़ोतरी होगी, जिससे और अधिक विनाशकारी बाढ़ आने का खतरा बना रहेगा.
नेपाल में भारी बारिश का जिम्मेदार कौन?
संगठन ने नेपाल में शहरों के निचले, नदी किनारे वाले क्षेत्रों में विकास गतिविधियों को सीमित करने और बार-बार आने वाली बाढ़ आपदाओं से बचने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली और तुरंत कार्रवाई की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने अपनी हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि नेपाल में तीन दिनों तक हुई भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है.
किया गया अध्ययन
पर्यावरण नीति केंद्र की शोधकर्ता मरियम जकारिया ने बताया कि यदि वायुमंडल पूरी तरह जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से भरा नहीं होता तो यह बाढ़ कम विनाशकारी होती. उन्होंने कहा कि यह अध्ययन बढ़ती हुई बारिश के प्रति एशिया की संवेदनशीलता को दर्शाता है. इसमें न केवल नेपाल बल्कि भारत, चीन, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान में भीषण बाढ़ पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर किया है.
नेपाल में भारी बारिश ने मचाई तबाही
बता दें कि नेपाल में 26 सितंबर से लगातार तीन दिनों तक हुई भारी बारिश के बाद बाढ़ की स्थिति बन गई थी. वहीं, एक रिपोर्ट की मानें तो मध्य और पूर्वी नेपाल में बारिश के रिकॉर्ड टूट गए, कुछ मौसम केंद्रों ने 28 सितंबर को 320 मिलीमीटर से अधिक वर्षा दर्ज की.
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