करवा चौथ पर क्यों जरूरी है मिट्टी के करवे से अर्घ्य देना, यहां जानिए महत्व

हर साल कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है.

इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस साल 20 अक्टूबर को ये पर्व मनाया जाएगा.

करवा चौथ की रात सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर अपना उपवास खोलती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मिट्टी के करवे से ही अर्घ्य देना जरूरी है...

दरअसल, करवा का अर्थ होता है मिट्टी का बर्तन. करवा पंचतत्वों का प्रतीक है.

दरअसल, मिट्टी को पानी में गला कर करवा बनाया जाता है, जो भूमि और जल तत्व का प्रतीक है. इसके बाद उसे धूप और हवा से सुखाया जाता है.

जो आकाश और वायु तत्व का प्रतीक है. इसके बाद उसे आग में तपाया जाता है. ऐसे में करवा पंचतत्वों से मिलकर बनता है.

करवे से पानी पिलाकर पति-पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा को साक्षी बनाकर सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं.

शास्त्रों के अनुसार, करवा चौथ की पूजा करते समय थाली में दो करवा होना जरूरी है.

(अस्वीकरण: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ‘The Printlines’ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)