America-China: अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को ड्रोन के इंजन और पुर्जे बनाने वाली दो चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. अमेरिका का कहना है कि इन चीनी कंपनियों ने लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम ड्रोन बनाने में सीधेतौर पर रूस की मदद की है, जिनका उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया गया.
अमेरिकी वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका ने पहले चीन पर इस बात के लिए आरोप लगाया था कि वह यूक्रेन के खिलाफ क्रेमलिन के युद्ध को जारी रखने के लिए रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार को भौतिक सहायता प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का उद्देश्य बीजिंग और मॉस्को के बीच ‘प्रत्यक्ष गतिविधि’ को निशाना बनाना है.
चीन द्वारा निर्मित ड्रोन का यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल
ऐसे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया कि रूस के गार्पिया श्रृंखला के लंबी दूरी के हमलावर ड्रोन रूसी रक्षा कंपनियों के सहयोग से चीन में डिजाइन और निर्मित किये गये, जिनका इस्तेमाल यूक्रेन में युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नष्ट करने के लिए किया गया, जिससे वहां पर भारी तबाही हुई.
इन कंपनियों पर लगा प्रतिबंध
हालांकि बीजिंग का कहना है कि वह यूक्रेन या रूस को हथियार उपलब्ध नहीं कराता है साथ ही उसने रूस के साथ अपने व्यापार को सामान्य तथा पारदर्शी बताया है. जबकि अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन इंजन बनाने वाली ‘ज़ियामेन लिम्बाच एयरक्राफ्ट इंजन कंपनी’ और रूसी कंपनी के साथ काम करने वाली ‘रेडलेपस वेक्टर इंडस्ट्री’ पर अमेरिका प्रतिबंध लगा रहा है.साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि दोनों चीनी कंपनियां साल के शुरुआत से ही रूसियों के साथ मिलकर लंबी दूरी के हमलावर ड्रोन विकसित कर रही थीं.
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