Child Marriage: हाल ही में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. एनसीपीसीआर की ओर से एक सर्वे कराया गया, जिसके मुताबिक भारत में लगभग 11.4 लाख से अधिक बच्चों पर बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है. इसमें ज्यादातर लड़कियां शामिल हैं. वहीं, कुछ बच्चे स्कूल नहीं जाने वाले है, कुछ स्कूल से ड्रॉपआउट हो चुके हैं. ऐसे में एनसीपीसीआर ने सर्वेक्षण किए गए राज्यों से बाल विवाह के खिलाफ ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस अभियान के तहत 27 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग तीन लाख गांवों और ब्लॉकों में 6 लाख से ज्यादा स्कूलों का सर्वेक्षण किया., जिसमें 11.5 लाख से ज्यादा बच्चों पर बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चे संवेदनशील
एनसीपीसीआर द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट के मुताबिक, 11.5 लाख बच्चों में 5 लाख से ज्यादा बच्चे उत्तर प्रदेश के हैं. वहीं, असम में 1.5 लाख और मध्य प्रदेश में 1 लाख. रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी है कि अभी कई जिलों ने यह सर्वेक्षण नहीं किया. इसके अलावा गोवा और लद्दाख ने कोई डेटा शेयर नहीं किया है.
‘इन बच्चों के पेरेंट्स की काउंसलिंग करनी चाहिए’
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान कहा कि “बच्चों को लगातार स्कूल भेजना बाल विवाह को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है. ऐसे में सभी राज्यों को उन बच्चों की पहचान करनी चाहिए जो स्कूल छोड़ चुके हैं, स्कूल नहीं जाते हैं, या नियमित रूप से स्कूल में उपस्थित नहीं होते. जरूरत पड़ने पर इन बच्चों के पेरेंट्स की काउंसलिंग करनी चाहिए.”
एनसीपीसीआर ने राज्यों से किया ये अनुरोध
रिपोर्ट सामने आने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य सरकार से अपील की है कि वो बाल विवाह के जोखिम वाले बच्चों की सूची तैयार करें और बाल विवाह के खिलाफ ठोस कदम उठाए.