Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री हनुमान जी का वास्तविक कर्तृत्व- श्री हनुमान जी द्वारा लंका दहन किया जाना हमें जितना आसान लगता है, उतना सहज और साधारण नहीं है। इसके पार्श्व में श्री हनुमान जी का भी स्वयं का कुछ चिंतन है। वह बुद्धिमतां वरिष्ठम् है। उन्होंने क्या-क्या साध्य किया? पूज्य श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने इसका सांकेतिक वर्णन लंका दहन अभियान पूर्ण करने के बाद श्री हनुमान जी के लंका से प्रस्थान करने के प्रसंग में किया है। वे कहते हैं- श्री हनुमान जी ने वास्तव में क्या साधा? श्री हनुमान जी केवल जितना कहा गया उतना ही कार्य करने वालों में नहीं, अपितु स्वयंप्रज्ञ हैं।
कुछ लोग जितना कहा, उतना ही कार्य करने वाली होते हैं तो कुछ लोग कार्य का सत्यानाश करने वाले भी होते हैं। श्री हनुमान जी इनमें से कोई भी नहीं हैं। सौंपा गया कार्य पूर्ण करने के उपरांत, शेष रहे समय में इस कार्य के लिए पूरक हो, ऐसा सारा कार्य करने वाले हैं। उनका मुख्य ध्यान लंका विजय की ओर है। वे विचार करते हैं अब मेरे पास समय है। अब मैं क्या करूं? आलस्य में समय व्यतीत करने, अशोक वाटिका में मीठी नींद लेने अथवा वाटिका में फल खाते हुए बैठने की अपेक्षा श्री हनुमान जी ने अत्यंत महान कार्य पूर्ण किया।
यह कार्य उन्होंने लंका दहन के माध्यम से संपन्न किया। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).