Indian Citizenship Act: भारतीय नागरिकता से संबंधित प्रवधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि जब कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो सिटीजनशिप एक्ट की धारा 9 के अंतर्गत उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है. ऐसे में उस व्यक्ति की नागरिकता को स्वैच्छिक नहीं माना जा सकता है.
सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) पर SC की टिप्पणी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में लोगों के बच्चें सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के अनुसार फिर से भारत की नागरिकता की मांग कर सकते हैं. इस एक्ट की धारा 8(2) के तहत अपने मन से भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों के बच्चे एक साल के भीतर ही भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते है.
इन लोगों पर नहीं लागू होगा ये कानून
हालांकि कोर्ट ने यह बात स्पष्ट रूप कहा है कि विदेशी नागरिकता प्राप्त करने वाले लोगों के बच्चों के लिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं है. साथ ही संविधान लागू होने के बाद भारत के बाहर पैदा हुआ व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 8 के तहत इस आधार पर नागरिकता की मांग नहीं कर सकता है कि उनके पूर्वज (दादा-दादी) अविभाजित भारत में पैदा हुए थे.
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की तरफ से दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने ये टिप्पणी की.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि मद्रास हाई कोर्ट ने सिंगापुर के एक नागरिक को सिटीजनशिप एक्ट की धारा 8(2) के अंतर्गत भारत की नगरिकता दे देने की मंजूरी दी थी. दरअसल उस नागरिक के माता-पिता को सिंगापुर की नागरिकता प्राप्त करने से पहले मूल रूप से भारतीय नागरिक थे, यही वजह हे कि याचिकाकर्ता ने भारतीय नगरिकता का दावा किया था.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि याचिकाकर्ता नागरिकता अधिनियम की धारा 8(2) के तहत भारतीय नागरिकता फिर से प्राप्त करने का हकदार नहीं था. अदालत का कहना है कि याचिकाकर्ता संविधान की धारा 5(1)(बी) या अनुच्छेद 8 के तहत नागरिकता के लिए पात्र था.
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