दिल्ली में एंट्री के लिए देना होगा पैसा, वाहनों से कंजेशन टैक्स वसूलेगी आतिशी सरकार

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Conjestion tax in Delhi: देश की राजधानी में हर साल अक्टूबर से दिसंबर के बीच भीषण प्रदूषण की मार झेलती है. वहीं, राजधानी दिल्ली में हर दिन सड़कों पर लोगों को भीषण जाम का सामना करना पड़ता है. इस बीच दिल्ली की आतिशि सरकार दिल्ली में कंजेशन टैक्स वसूलने की योजना बना रही है. बताया जा रहा है कि ये कंजेशन टैक्स उन गाड़ियों से वसूला जाएगा जो दूसरे शहर से दिल्ली में आते हैं.

दरअसल, दिल्ली सरकार शहर में एंट्री करने वाले टोल पर बढ़ते ट्रैफिक की समस्या को ध्यान में रखकर कंजेशन टैक्स वसूलने की योजना बना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम समेत दूसरे शहरों से दिल्ली आने वाली गाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे राजधानी के लोगों को जाम की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. ऐसे में दिल्ली की सरकार कंजेशन टैक्स वसूलने की तैयारी में है. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि किस आधार पर गाड़ियों से यह टैक्स वसूला जाएगा.

दिन में दो बार होगी वसूली

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि दिल्ली सरकार फास्टैग की मदद से कंजेशन टैक्स की वसूली कर सकती है. हालांकि, मोटर वेकिल एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार दिल्ली से बाहर की गाड़ियां जैसे ही टोल प्लाजा से दिल्ली में एंट्री करेंगी, उनके फास्टैग अकाउंट से कंजेशन टैक्स काट लिया जाएगा, ताकि टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लंबी-लंबी लाइनें न लगें. दिल्ली के 13 अलग-अलग बॉर्डर पर टैक्स वसूली की जाएगी. ये वसूली दो टाइम स्लॉट में होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सुबह 8 बजे से 10 बजे तक और शाम 5.30 बजे से 7.30 बजे के बीच दिल्ली में एंट्री करने वाली गाड़ियों को कंजेशन टैक्स चुकाना होगा.

कंजेशन टैक्स किसे कहते हैं?

कंजेशन टैक्स एक प्रकार का कर है. यह उन वाहनों से वसूला जाता है जो व्यस्ततम समय में किसी खास शहर में एंट्री करते हैं. दिल्ली सरकार की मंशा है कि बाहर से आने वाली गाड़ियों की संख्या पर लगाम लगाया जा सके. हालांकि, सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध भी हो रहा है. दिल्ली सरकार के इस फैसले से उन लोगों पर बोझ पड़ेगा, जो दूसरे शहरों से दिल्ली आते हैं. चूकी हजारों की संख्या में दिल्ली से सटे दूसरे शहरों से राजधानी में नौकरी करने के लिए प्रतिदिन आते हैं. ऐसे लोगों को हफ्ते में 5 से 6 दिनों तक दिल्ली आना होता है और इन लोगों को बार बार पैसे देने होंगे. इसके अलावा, जो लोग बिजनेस के लिए दूसरे शहरों से दिल्ली आते हैं, उन लोगों को भी ये फैसला भारी पड़ेगा.

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