अमेरिकी चुनाव में चीनी हैकर्स ने लगाई सेंध! ट्रंप, वेंस और हैरिस के फोन डेटा को बनाया निशाना

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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US Election: चीन के हैकर कई देशों में साइबर अटैक कर चुके हैं. अब चीनी हैकरों ने अमेरिकी चुनाव में एंट्री कर दी है. खबर है कि चीनी हैकर्स ने रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्‍ट्रपति उम्‍मीदवार जेडी वेंस और डेमोक्रेटिक उम्‍मीदवार कमला हैरिस के फोन डेटा को हैक कर लिया है. सीएनएन के मुताबिक, राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के वरिष्‍ठ अधिकारी भी हैकर्स के निशाने पर रहे हैं. इस सनसनीखेज दावे ने पूरे देश में खलबली मचा दी है.

ट्रंप और हैरिस का फोन डेटा को बनाया निशाना  

जानकारी के अनुसार, चीनी हैकरों ने वेरिज़ॉन के सिस्टम में सेंध लगाई और हैरिस व ट्रम्प से जुड़े फोन को निशाना बनाया. इस स्थिति से परिचित एक व्यक्ति ने शुक्रवार को कहा कि वेरिज़ॉन के सिस्टम में टैप करने वाले चीनी हैकरों ने कमला हैरिस के अभियान से जुड़े लोगों द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन को लक्षित किया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इसके बाद रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प और उनके साथी जेडी वेंस के फोन डेटा को निशाना बनाया गया.

ट्रंप अभियान के संचार निदेशक ने हैरिस पर लगाया आरोप

ट्रम्प अभियान को इस हफ्ते अवगत कराया गया कि ट्रम्प और वेंस सरकार के अंदर और बाहर के कई लोगों में से थे, जिनके फोन नंबरों को वेरिज़ोन फोन सिस्टम से घुसपैठ के माध्यम से लक्षित किया गया. हालांकि अभी ट्रम्प अभियान ने इसकी पुष्टि नहीं की कि उनके और वेंस के फोन को निशाना बनाया गया है.

अभियान के संचार निदेशक स्टीवन चेउंग ने कहा कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए अमेरिकी बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए चीन और ईरान को प्रोत्साहित किया है.

मामले की हो रही जांच

शुक्रवार को एफबीआई और साइबर सुरक्षा एजेंसी सीआईएसए ने कहा कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं, जिसमें चीनी हैकर्स द्वारा अमेरिकी दूरसंचार नेटवर्क में अनधिकृत पहुंच की कोशिश की गई थी. प्रभावित कंपनियों को सूचित करने और मदद देने के बाद, एफबीआई और सीआईएसए ने जांच में तेजी लाई है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने सबसे पहले इस घटना की जानकारी दी थी और बताया कि चीनी हैकिंग अभियान के तहत पिछले कुछ महीनों में कई अमेरिकी दूरसंचार कंपनियों को टारगेट किया गया है.

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