Taiwan-China: चीन के खिलाफ खुद को मजबूत करने में जुटा ताइवान, अमेरिका से खरीदेगा 1000 अटैक ड्रोन्स

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Taiwan-China: चीन की ओर से लगातार मिल रहे धमकियों से परेशान होकर ताइवान ने बड़ा फैसला लिया है. उसने अपने आप को मजबूत करने के लिए अमेरिका से 1000 अटैक ड्रोन्स खरीदने की योजना बनाई है. वहीं, अमेरिका की सरकार ने इस सौदे के प्रस्ताव को जून महीने में ही करीब 36 करोड़ डॉलर में मंजूरी दे दी थी.

इस समय हो सकती हे डिलीवरी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ताइवान ये ड्रोन्स अमेरिकी फर्मों एरोविरोनमेंट और एंडुरिल इंडस्ट्रीज से खरीदेगा. इस सौदे पर उसने सितंबर के अंत में हस्ताक्षर भी कर दिए हैं. फिलहाल, कीमत, डिलीवरी शेड्यूल और अनुबंध को औपचारिक रूप देना बाकी है. ऐसे में ताइवान को इन ड्रोन्स की डिलीवरी 2024 से 2026 के बीच होने की उम्‍मीद है.

कम दूरी के ऑपरेशन के लिए प्रभावी स्विचब्लेड

बता दें कि इन ड्रोन्स के अलावा ताइवान की सेना ने अमेरिका ने 685 स्विचब्लेड 300 लोइटरिंग म्यूनिशन और 291 ALTIUS 600M-V मानव रहित विमान (UAV) खरीदने का भी ऐलान किया था. 15 किलोमीटर के इस स्विचब्लेड 300 का वजन 2.5 किलोग्राम है और इसका लोइटर का समय 15 मिनट है. ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर से लैस, इसे पोर्टेबल ट्यूब से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह कम दूरी के ऑपरेशन के लिए प्रभावी हो जाता है.

ताइवान को लगातार मजबूत कर रहा अमेरिका

वहीं, ALTIUS 600M-V ड्रोन की रेंज 440 किलोमीटर है, जो चार घंटे तक उड़ने में सक्षम है. 27 किलोग्राम के इस ड्रोन को टोही कार्यों के साथ डिज़ाइन किया गया है, जिसमें गोला-बारूद ले जाने की क्षमता भी है और इसे समुद्र, ज़मीन या हवा से तैनात किया जा सकता है.

अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी के मुताबिक, हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग ने तीन नेशनल एडवांस्ड जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम (NASAMS), 123 एडवांस्ड मीडियम-रेंज हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल-एक्सटेंडेड रेंज (AMRAAM-ER) और दो रडार सिस्टम की संभावित बिक्री का ऐलान किया है.

क्‍या है मामला?

बता दें कि चीनी सेना द्वारा लगातार ताइवान के जल और हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिशें की जा रही हैं. साथ ही चीन ताइवान पर अपना दावा करता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है. यही वजह है कि चीन और ताइवान के बीच तनातनी बनी हुई है. हालांकि ताइवान को अमेरिका का समर्थन मिलता है.

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