NASA: 47 साल बाद ‘जिंदा’ हुआ नासा का वॉयजर-1, 15 अरब मील दूर 1981 की तकनीक का कर रहा इस्तेमाल

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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NASA Voyager 1: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के 47 साल पुराने वॉयजर 1 अंतरिक्ष यान ने हाल ही में एक रेडियो ट्रांसमीटर की मदद से कुछ समय के लिए रुकने के बाद पृथ्वी से संपर्क स्थापित किया है. खास बात ये है कि इस अंतरिक्ष यान का इस्तेमाल साल 1981 से नहीं किया गया है.

बता दें कि कैलिफोर्निया में जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के नासा इंजीनियरों ने अंतरिक्ष यान से फिर से संपर्क स्थापित किया. यह यान पृथ्‍वी से 15 बिलियन मील से अधिक दूरी पर अंतरतारकीय अंतरिक्ष में है. इसने 16 अक्टूबर को अपने एक ट्रांसमीटर के बंद होने के वजह से संचार में थोड़ी रुकावट का अनुभव किया.

16 अक्‍टूबर को नासा ने भेजा मैसेज

जानकारी के मुताबिक, यह शटडाउन संभवतः अंतरिक्ष यान की फॉल्ट प्रोटेक्शन सिस्टम के कारण हुआ था, जो बिजली का अधिक इस्‍तेमाल होने पर कुछ सिस्टम को बंद कर देता है. नासा के मुताबिक, किसी एक संदेश को पृथ्‍वी से वॉयजर 1 तक और इसके विपरीत एक तरफ से यात्रा करने में करीब 23 घंटे लगते हैं. यही वजह है कि 16 अक्‍टूबर को नासा के वैज्ञानिको ने अंतरिक्ष यान को संदेश भेजा तो वो उस दिन इसकी प्रतिक्रिया का पता नही लगा सके और एक दिन बाद वॉयजर 1 के साथ संचार पूरी तरह से बंद हो गया.

एक ही ट्रांसमीटर का इस्‍तेमाल कर रहा अंतरिक्ष यान

वहीं, जांच के बाद, अंतरिक्ष एजेंसी की टीम ने पाया कि वॉयजर 1 की फॉल्ट प्रोटेक्शन सिस्टम ने अंतरिक्ष यान को दूसरे, कम-शक्ति वाले ट्रांसमीटर पर स्विच कर दिया था. दरअसल, वॉयजर 1 में दो रेडियो ट्रांसमीटर हैं, लेकिन यह कई वर्षों से सिर्फ एक ही ट्रांसमीटर का इस्‍तेमाल कर रहा है जिसे ‘एक्स-बैंड’ कहा जाता है.

जबकि, दूसरा ट्रांसमीटर- ‘एस-बैंड’ – एक अलग फ्रीक्वेंसी का इस्‍तेमाल करता है जिसे 1981 से उपयोग नहीं किया गया है. हालांकि नासा ने एक्स-बैंड ट्रांसमीटर पर वापस स्विच करने से बचने का विकल्प चुना है जब तक कि वे यह निर्धारित नहीं कर लेते कि फॉल्ट प्रोटेक्शन सिस्टम को किसने सक्रिय किया. हालांकि इसमें कई सप्‍ताह का समय लग सकता है.

वैज्ञानिकों की टीम लगातार कर रही काम

ऐसे में वॉयजर मिशन एश्योरेंस मैनेजर ब्रूस वैगनर ने कहा कि इंजीनियर सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि वे यह निर्धारित करना चाहते हैं कि एक्स-बैंड चालू करने से कोई संभावित खतरा तो नहीं है. इस बीच, इंजीनियरों ने 22 अक्टूबर को वॉयजर 1 को एक मैसेज भेजा, जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि एस-बैंड ट्रांसमीटर काम कर रहा है या नहीं. लेकिन 24 अक्टूबर को इसे लेकर कन्फर्मेशन मिला, लेकिन यह ऐसा समाधान नहीं है जिस पर टीम बहुत लंबे समय तक भरोसा करना चाहती हो.

1977 में वॉयजर 2 से निकला आगे

जानकारी के मुताबिक, वॉयजर-1 को वॉयजर-2 के बाद लॉन्च किया गया था, लेकिन हाई स्पीड होने के कारण 15 दिसंबर, 1977 को इसने वॉयजर 2 को पीछे छोड़ दिया. बता दें कि यह अंतरिक्ष यान अंतरतारकीय अंतरिक्ष में जाने वाला पहला मानव निर्मित वस्तु है.

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