Green Energy Scheme: अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की 7वीं आम सभा के उद्घाटन सत्र में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री जोशी ने कहा कि इस समय सोलर एनर्जी कई क्षेत्रों में कोयले और गैस से आगे निकलकर बिजली का सबसे किफायती स्रोत बन गई है. इसे बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने करीब 37.5 गीगावाट की कुल क्षमता वाले 50 सौर पार्क को मंजूरी दी है.
उन्होंने ये भी कहा कि साल 2030 तक 30 गीगावाट के अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए संभावित अपतटीय पवन ऊर्जा स्थलों की पहचान की है. भारत का 2024-25 का केंद्रीय बजट इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण में 110 प्रतिशत की वृद्धि और पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी पहलों के लिए लक्षित समर्थन शामिल है.
दुनिया में सौर ऊर्जा की लागत हो रही कम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैश्विक सौर निवेश का 2024 के अंत तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है, जो साल 2023 में 393 अरब डॉलर और 2018 में 144 अरब अमेरिकी डॉलर था. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों में यह कोयले तथा गैस से भी अधिक किफायती ऊर्जा स्रोत है. ऐसे में इन निवेशों से नई क्षमता ही नहीं जुड़ रही, बल्कि दुनिया भर में सौर ऊर्जा की लागत भी कम हो रही है. जोशी ने कहा कि यह तीव्र वृद्धि रिकॉर्ड-तोड़ निवेशों से प्रेरित है.
ISA ‘टुवार्ड्स 1000’ रणनीति से बढ़ रहा आगे
उन्होंने बताया कि आईएसए ‘टुवार्ड्स 1000’ रणनीति से आगे बढ़ रहा है, जिसका मकसद 2030 तक सौर ऊर्जा समाधानों में 1,000 अरब डॉलर का निवेश जुटाना है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी नीत सरकार के शासन में भारत ने महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित किए हैं और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. भारत ने पिछले महीने 90 गीगावाट की स्थापित सौर क्षमता हासिल कर ली और 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता के अपने व्यापक लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है.
इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि भारत नए क्षितिज पर भी अपनी नजरें स्थापित कर रहा है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, ताकि 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता से समर्थन मिल सके.
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