बांग्लादेश खुद को घोषित कर सकता है इस्लामिक देश! संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाने का रखा प्रस्ताव

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bangladesh constitution: बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा देने की बाद से ही लगातार वहां कट्टरता हावी होती जा रही है. वहां की अंतरिम सरकार एक के बाद एक ऐसे फैसले कर रही है, जो स्थापना के समय बांग्लादेश की मूल भावना के खिलाफ है. ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे के बांग्लादेश खुद को एक इस्लामिक मुल्क भी घोषित कर सकता है, क्‍योंकि उसके शीर्ष कानून अधिकारी ने हाल ही में देश के संविधान से सेक्युलर यानी कि धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी शब्दों को हटाए जाने का प्रस्‍ताव रखा है.

संविधान से इन चीजों को हटाने की मांग

दरअसल, बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असज्जमां ने एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में कई दलीलें दी हैं. उन्‍होंने बांग्लादेश के संविधान के चार सिद्धांतों में से दो ‘यानी धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को हटाने की मांग की है. साथ ही शेख मुजीबुर रहमान के राष्ट्रपिता का दर्जा भी खत्म करने की बात कही है. इतना ही नहीं, संविधानेतर तरीकों से सरकार बदलने के लिए मौत की सजा का प्रावधान करने की अपील की गई है.

संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती

बता दें कि बांग्लादेश में दर्ज की गई रिट याचिका में साल 2011 में तत्कालीन शेख हसीना सरकार की ओर से किए गए संविधान के 15वें संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है. इस संशोधन के अंतर्गत धर्मनिरपेक्षता की बहाली, चुनाव की निगरानी के लिए अंतरिम सरकार के सिस्टम को खत्म करना, संविधानेतर तरीकों से सत्ता संभालने और शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता का दर्जा देने के फैसले शामिल थे.

कोर्ट ने अंतरिम सरकार से मांगा जवाब

वहीं, कोर्ट में दलील दी गई है कि शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के नेता थे. लेकिन, अवामी लीग पार्टी ने अपने हित में उनका राजनीतिकरण किया है. इसके अलावा, देश के हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने एक नियम जारी किया है और मोहम्मद युनुस की सरकार से इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है.

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