रूस बंद करेगा यूक्रेन के रास्ते कई देशों की गैस सप्लाई, पूरे यूरोप में मच सकती है तबाही!

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Russia stop gas supply: रूस ने यूक्रेन के माध्यम से गैस वितरण को निलंबित करने की बात कही है, जिससे यूरोप कई देशों में हड़कंप मचा हुआ है. दरअसल, यूरोप के लिए यह रूस का सबसे पुराना गैस-निर्यात मार्ग है. जो यूक्रेन के रास्‍ते सोवियत काल से चला रहा है, लेकिन अब इस बंद किए जाने की बात कही जा रही है, जिससे पूरे यूरोप को गैस आपूर्ति के संकटों का सामना करना पड़ सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, रूस-यूक्रेन के बीच पांच साल का मौजूदा करार समाप्त होने के बाद यूक्रेन के माध्‍यम से यूरोप को रूसी गैस की आपूर्ति 1 जनवरी 2025 से पूरी तरह से बंद हो सकती है. क्योंकि कीव ने युद्ध के दौरान रूसी राज्य के स्वामित्व वाली गज़प्रॉम (GAZP.MM) के साथ पारगमन समझौते की नई शर्तों पर बातचीत करने से इनकार कर दिया है.

यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस को लगा झटका

बता दें कि रूस ने पिछले साल यूक्रेन के रास्‍ते करीब 15 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस भेजी, जो यूरोप को 2018-2019 में विभिन्न मार्गों के माध्यम से प्रवाहित कुल रूसी गैस से सिर्फ  8 प्रतिशत कम है.  यूरोपीय गैस बाज़ार में रूस ने अपनी हिस्सेदारी बनाने में आधी सदी लगा दी है, जो कभी अपने चरम पर 35 प्रतिशत तक थी. लेकिन साल 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से मॉस्को ने नॉर्वे, संयुक्त राज्य अमेरिका और कतर जैसे प्रतिद्वंद्वियों से अपना हिस्सा खो दिया, जिससे यूरोपीय संघ को रूसी गैस पर अपनी निर्भरता में कटौती करने के लिए प्रेरित किया गया.

रूस से इन जगहों तक जाती है गैस

रिपोर्ट्स के अनुसार, चेक गणराज्य ने 2023 में पूर्व से गैस आयात लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया था, लेकिन 2024 से रूस से गैस लेना शुरू कर दिया है. बता दें कि यूरोप के लिए अधिकांश रूसी गैस मार्ग बंद हैं, जिनमें बेलारूस के माध्यम से यमल-यूरोप और बाल्टिक के तहत नॉर्ड स्ट्रीम शामिल हैं. वहीं, एकमात्र अन्य परिचालन रूसी गैस पाइपलाइन मार्ग काला सागर के नीचे तुर्की तक ब्लू स्ट्रीम और तुर्कस्ट्रीम है. दरअसल, तुर्की कुछ रूसी गैस की मात्रा हंगरी समेत यूरोप भेजता है.

कई यूरोपीय देश अभी भी चाहते हैं रूस से गैस

दरअसल,  फ्रांस और जर्मनी जैसे कई यूरोपीय संघ के सदस्यों का कहना है कि वो अभी रूसी गैस नहीं खरीदेंगे, लेकिन मास्को से घनिष्ठ संबंध रखने वाले स्लोवाकिया, हंगरी और ऑस्ट्रिया का रुख यूरोपीय संघ के सामान्य दृष्टिकोण को चुनौती देता है. ऐसे में अभी भी रूसी गैस प्राप्त करने वाले देश इसके सबसे किफायती ईंधन होने का तर्क देते हैं. साथ ही वैकल्पिक आपूर्ति के लिए उच्च पारगमन शुल्क लगाने के लिए पड़ोसी यूरोपीय संघ के देशों को भी दोषी मानते हैं.

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