Children’s Development: किसी भी देश की सबसे अहम पूजीं मानव पूंजी होती है. ऐसे में दुनिया के किसी भी देश में जन्म लेने वाले बच्चे की शुरुआती स्वास्थ्य और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. लैसेंट जर्नल में प्रकाशित लेख के अनुसार, एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है, जिसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में तीन से चार साल के लगभग 182 मिलियन बच्चों को आवश्यकता के हिसाब से पर्याप्त पोषण नहीं मिल पा रहा है. इन बच्चों के पर्याप्त पोषण और देखभाल से वंचित रहने के वजह से इनके शरीर का विकास और स्वास्थ्य खतरे में हैं.
दुनियाभर के कई रिसर्च में पाया गया है कि बच्चों के पहले एक हजार दिन बेहद अहम होते हैं. 2 से 5 साल तक के बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है. शोधकर्ताओं के अनुसार, एक हजार दिनों के दौरान, बच्चे अक्सर स्वास्थ्य या शिक्षा सेवाओं के सीधे नियमित संपर्क में नहीं होते हैं. इस दौरान बच्चों को बेहतर खान-पान और शिक्षा दी जानी चाहिए लेकिन, एलएमआईसी देशों में 2-5 साल के बच्चे में से केवल एक तिहाई बच्चे ही प्रारंभिक पोषण, देखभाल और शिक्षा पाते हैं.
बच्चों को मिले उचित पोषण और शिक्षा
तीन या चार साल की उम्र वाले बच्चों में केवल तीन में से एक बच्चे प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. ऐसे में बाल विकास के इस चरण के लिए निवेश बढ़ाने की मांग की गई है. ताकि उच्च गुणवत्ता वाले बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा कार्यक्रमों तक पहुंच में सुधार पर खासा ध्यान दिया जा सके. इन कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बचपन के साथ ही उनकी देखभाल और शिक्षा कार्यक्रमों की उन तक पहुंच बढ़ाना शामिल हैं.
इन कार्यक्रमों में ट्रेनिंग दिए हुए शिक्षक, बच्चों और टीचर के बीच उचित अनुपात और छात्रों के बेहतर बौद्धिक विकास के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रमों को शामिल करना चाहिए. लैंसेट श्रृंखला में शामिल एक नए एनालिसिस के मुताबिक, सभी बच्चों के लिए एक वर्ष की प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल में शिक्षा देने पर औसतन एलएमआईसी देशों के वर्तमान सकल घरेलू उत्पाद का 0.15 फीसदी से कम खर्च आएगा.
लेख में कहा गया है कि इन कार्यक्रमों के संभावित लाभ उन्हें लागू करने की लागत से 8-19 गुना अधिक मिलेगा. दक्षिण अफ्रीका के विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी की कैथरीन ड्रेपर और इस श्रृंखला की सह-अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों के शुरुआती 1000 दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं, ऐसें निम्न और मध्यम आय वाले देशों को बच्चों के विकास के लिए साथ आना चाहिए.
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