Parliament session 2024: सरकार साल 2029 तक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (ONOE) के लक्ष्य को साकार करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है. बता दें कि 25 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के संबंध में विधेयक पेश किया जा सकता है. हालांकि इस विधेयक के संसद में पेश होने से पहले ही सरकार ने विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस के साथ आम सहमति बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
दरअसल, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू करने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है, हालांकि इसके लिए विपक्ष और गैर-एनडीए दलों का सहयोग जरूरी है. सूत्रों के मुताबिक, विधेयक रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है, जिसपर संसद में बहस शुरू होगी, लेकिन व्यापक सहमति बनने तक मतदान को टालने की संभावना है.
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का उद्देश्य
सरकार के इस फैसले का मुख्य उद्देश्य संसाधनों की बचत, बेहतर प्रशासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार करना है. सरकार का मानना है कि बार-बार चुनाव कराने से केवल आर्थिक बोझ ही नहीं बढ़ता, बल्कि शासन में बाधाएं भी उत्पन्न होती हैं. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी मिलने से चुनाव के खर्च में भी कमी आएंगी. इसके साथ ही बार बार आचार संहिता लागू नहीं करनी पड़ेगी, जिससे शासन में निरंतरता बनी रहेगी.
सरकार की मंशा स्पष्ट
इम मामले को लेकर संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए हर पांच साल में एक साथ चुनाव की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सभी को यह समझाना जरूरी है कि एक साथ चुनाव क्यों आवश्यक हैं. पहले प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन कर नया अनुच्छेद 82ए जोड़ा जाएगा.
स्थानीय निकाय चुनावों का तालमेल
बता दें कि स्थानीय निकाय चुनावों को आम चुनावों के साथ जोड़ने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन कर नया अनुच्छेद 324ए जोड़ा जाएगा. वहीं, इस संशोधन के लिए राज्यों द्वारा अनुसमर्थन अनिवार्य होगा.
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