Manipur Violence: इस साल की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) मणिपुर में हिंसा के मुद्दे को संबोधित कर रहे थे, तब आप और आपकी पार्टी ने जिस अपमानजक और गैर-जिम्मेदाराना तरीके वॉकआउट किया था, उसे प्रत्यक्ष रूप से देखने के बाद इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को संबोधित आपका पत्र देखना मेरे लिए हैरान करने वाला है. उक्त बातें मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) को लिखे पत्र में कही.
जेपी नड्डा ने पत्र में आगे लिखा, कांग्रेस के नेताओं की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) पर अनगिनत अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं, फिर भी आपके पत्र को देखकर यह देखकर खुशी हुई कि आपकी पार्टी ने भारत के सर्वोच्च संविधानिक पद और उस पर बैठे प्रतिष्ठित व्यक्ति को कुछ तो सम्मान दिखाया है. हालांकि, मुझे यह जवाब देने की आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है, क्योंकि आपके शब्दों में जो गलत, झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित संदेश है, उसे आप छिपाने में असफल रहे हैं. ऐसा लगता है कि आप आपकी पार्टी और कांग्रेस सरकार दोनों ने 90 के दशक में और यूपीए सरकार के समय किए गए गलत फैसलों को भूल रही है. मैं आपकी पार्टी को याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस की इस बड़ी नाकामी के परिणाम आज मणिपुर में महसूस किए जा रहे हैं.
‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र ने देखा बदलाव’
जेपी नड्डा ने आगे कहा, पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र ने हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखा है, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या विकास के अवसरों तक पहुंच हो. हमारे पूर्वोत्तर में गोलीबारी और विस्फोट रोजमर्रा की बात बन गए थे,वहां देश की आजादी के बाद वहां पहली बार शांति, समृद्धि और प्रगति देखी जा रही है. यह बदलाव उन लोगों से पूरी तरह से समर्थन हासिल कर रहा है, जिन्होने बार-बार कांग्रेस और उनके सहयोगियों के झूठे वालों की जगह डबल-इंजन एनडीए सरकारों की स्थिरता पर भरोसा जताया है.
दस वर्षों में ऐतिहासिक शांति समझौतों से लेकर अभूतपूर्व कनेक्टिविटी तक, हमारी सरकारें वास्तव में पूर्वोत्तर के लोगो को एक-दूसरे के करीब ला रही हैं. यह ध्यान देने योग्य बात है कि मणिपुर में 2013 में 20 फीसदी से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी से पीड़ित थे, जो 2022 में घटकर पांच फीसदी तक रह गई है.