UNSC में अमेरिका के वीटो की OIC ने की आलोचना, भारत वाली मांग को दी प्राथमिकता

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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UNSC Resolution: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने एक बार फिर से इजरायल के बचाव में वीटो का उपयोग किया है. UNSC में गाजा पट्टी में युद्ध विराम के प्रस्ताव पर बिना किसी शर्त के अमेरिका ने वीटो लगा दिया, जिसके बाद कई देशों ने अमेरिका की आलोचना की है. साथ ही 56 इस्लामिक देशों के संगठन OIC (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोर्पोरेशन) ने अमेरिका के इस कदम की आलोचना की है. उन्‍होंने अपना एक बयान जारी कर कहा है कि UNSC में सुधार की उस मांग को दोहराया है, जो भारत लगातार उठाता रहा है.

OIC ने UNSC में सुधार की मांग दोहराई

OIC ने लिखा कि बार-बार नरसंहार के मामलों में वीटो का इस्तेमाल करना ये संकेत देता है कि UNSC में तत्काल सुधार की आवश्‍यकता है क्योंकि यह अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थ हो रहा है, इतना ही नहीं, वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए UNSC ने भरोसा खो दिया है.

गाजा में बिना शर्त सीजफायर की मांग

इस्लामिक देशों के संगठन ने गाजा में तुरंत, स्थायी और बिना शर्त सीजफायर के लिए और आक्रमण, तबाही, भुखमरी और इजराइली कब्जाधारियों के जबरन विस्थापन के अपराध को रोकने के लिए सहयोग देने और दबाव बनाने का प्रयास करने के लिए UN चार्टर के चैप्टर 7 के तहत प्रस्ताव लाने की मांग को दोहराया है. उन्‍होंने कहा कि इजरायल के इस हमले में गाजा में 44 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1 लाख 5 हजार से अधिक लोग घायल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.

US के वीटो से इस्लामिक मुल्क नाराज

वहीं, इस्लामिक सहयोग संगठन ने अमेरिका के वीटो पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अमेरिका का यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छा के लिए चुनौती होने के साथ ही इजरायली कब्जे को सुरक्षा देने और फिलिस्तीनियों के खिलाफ युद्ध अपराध को बढ़ावा देने का प्रयास है.

UNSC में सुधार की मांग करता रहा है भारत

दरअसल, भारत लंबे समय से लगातार UNSC में सुधार की मांग करता आ रहा है. 19 नवंबर को भी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने UNSC में सुधार प्रक्रिया की रफ्तार को लेकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि सुरक्षा परिषद की आज की स्थिति 1945 के हालातों को दर्शाती है, इसमें आज की वास्तविकता दिखाई नहीं देती है. वहीं, कुछ ऐसे भी देश है, हमें कभी स्थायी सदस्य न बनने के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैसार है.

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