Energy Summit: इस समय भारत ग्लोबल साउथ का सबसे बड़ा ऊर्जा सप्लायर बनने के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में ही गुरुवार को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक बड़ा ऊर्जा सम्मेलन हुआ, जिसमें ग्लोबल साऊथ के लिए भविष्य के संबंधों की नींव रखी गई. ऐसे में यदि आगे भी सबकुछ सही रहा जो वो दिन दूर नहीं जब भारत ग्लोबल साउथ के लिए सबसे बड़ा उर्जा सप्लायर बनकर उभरेगा.
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्राजील में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान ग्लोबल साउथ के देशों में भारत की ऊर्जा भागेदारी बढ़ाने का संकेत दिया था. ऐसे में अब जोहांसबर्ग में भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए इस अहम ऊर्जा सम्मेलन ने अमेरिका से लेकर चीन तक की टेंशन का बढ़ा दी है.
दोनों देशों के बीच हुआ बड़ा समझौता
जोहानिसबर्ग में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए पहले ऊर्जा सम्मेलन को आयोजको ने अत्यंत सफल बताया. इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान दोनों देशों के बीच भविष्य के ऊर्जा पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए एक बड़ा समझौता भी किया गया. ‘मतला-ऊर्जा एनर्जी कॉन्फ्रेंस’ (सेसोथो भाषा में ‘मतला’ का अर्थ होता है ‘शक्ति’) नामक इस सम्मेलन में 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने ऊर्जा क्षेत्र में अपने विचार साझा किए. इसी बीच महावाणिज्य दूत महेश कुमार ने सम्मेलन की कुछ सफलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम भारतीय व्यवसायों और शिक्षा जगत तथा दक्षिण अफ्रीका के उनके समकक्षों के सर्वश्रेष्ठ लोगों को एक साथ लाए हैं.
भारत-दक्षिण अफ्रीका की गहरी हो रही दोस्ती
वर्ष 2023 से ही भारत और साऊथ अफ्रीका के बीच दोस्ती और भी गहरी होती जा रही है. इस सम्मेलन के पहले दिन भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी शिक्षाविद एवं शोधकर्ता शैक्षणिक विद्युत क्षेत्र सुधारों, विद्युत के भविष्य, ऊर्जा मॉडलिंग, मूल्य निर्धारण तथा इसके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा को आगे बढ़ाया कि व्यवसाय इन मुद्दों को लेकर कैसा दृष्टिकोण रखता है.
सफल रहा यह सम्मेलन
वहीं, राजनयिक ने कहा कि यह उन विशाल अवसरों की ओर संकेत करता है, जो विद्युत क्षेत्र में सभी के लिए मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दृष्टिकोण से, ये दो दिवसीय वार्ता बहुत सफल रही. असी बीच विट्स बिजनेस स्कूल के प्रमुख प्रोफेसर मौरिस राडेबे ने कहा कि इस सम्मेलन से प्रतिनिधियों को गरीबी और भुखमरी को कम करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के रणनीतिक विकास लक्ष्यों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है.
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