श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा दी गई हालिया जानकारी के मुताबिक, वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट में पिछले सात वर्षों के दौरान अनुमानित श्रमिक जनसंख्या अनुपात में वृद्धि दर्ज की गई है. पीएलएफएस रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में अनुमानित श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 46.8% से बढ़कर 2023-24 में 58.2% हो गया है. WPR में यह वृद्धि कोरोना महामारी सहित अवधि में दर्ज हुई है. रोजगार का संकेत देने वाला WPR इस अवधि के दौरान 15 वर्ष और इससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए सामान्य स्थिति में बेरोजगारी दर 6% से घटकर 3.2% हो गई है.
पिछले दिनों महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया था कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात और श्रम शक्ति भागीदारी दर में लगातार वृद्धि देखी गई है. 2017-18 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात 22% और श्रम शक्ति भागीदारी दर 23.3% थी, जो कि 2023-24 में बढ़कर क्रमश: 40.3% और 41.7% तक पहुंच गई है.
श्रमिकों की संख्या में वृद्धि
केंद्रीय मंत्री करंदलाजे द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण ने असंगठित गैर-कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या में वृद्धि दिखाई है, जो 2021-22 में 9.79 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 10.96 करोड़ हो गई है. एएसयूएसई सर्वेक्षण विशेष रूप से विनिर्माण, व्यापार और अन्य सेवा क्षेत्रों पर केंद्रित है. उन्होंने भारत के रोजगार बाजार को लेकर कहा, सितंबर 2017 से सितंबर 2024 तक की अवधि में EPFO सब्सक्राइबर्स की संख्या में भी 7 करोड़ नेट सब्सक्राइबर्स जुड़े हैं. केंद्रीय मंत्री ने आरबीआई डेटा का हवाला देते हुए राज्यसभा में कहा, देश में 2014-15 के दौरान रोजगार का आंकड़ा 47.15 करोड़ से 2023-24 में बढ़कर 64.33 करोड़ हो गया है, जो 9 वर्षों में 17.18 करोड़ की वृद्धि को दर्शाता है.