Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान प्रहलाद को कुछ मांगने की बात कहते हैं। बार-बार विनती करते हैं पर प्रह्लाद टाल देना चाहता है। वह कहता है प्रभु मैं सौदागर नहीं हूं। तो भगवान कहते हैं कि यह मेरी आज्ञा का उलंघन है। प्रहलाद घबराये और कहा कि आप कुछ देना ही चाहते हैं तो यह दीजिए कि मेरी कामना ही नष्ट हो जाए, मेरी कोई कामना ही न रहे। जो उच्च कोटि का साधक होगा, भगवत भक्त होगा उसके मुख से जब आप कथा सुनेंगे, वह कथा आपके जीवन में आवश्यक परिवर्तन ले आयेगी।
आपने कथा सुनी और आपके जीवन में परिवर्तन नहीं आया, तो कुछ नहीं सुना, कथा सुनने के बाद जीवन में परिवर्तन होना चाहिए। द्वैत की प्रतीति जब तक है तब तक दुख की प्रतीति है। द्वैत की प्रतीति नष्ट होते ही दुःख भी समाप्त हो जाता है और इस संसार रूप सर्प का डसना भी है समाप्त हो जाता है। हमें अभिमान नहीं करना चाहिए। अभिमान अगर छूट नहीं जाता और करना ही हो तो सत्य का ही अभिमान करना चाहिए।
मिथ्या पदार्थों का अभिमान करने से क्या फायदा? सत्य के अभियान से मुक्ति होती है और मिथ्या अभिमान से बंधन होता है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).