S. Jaishankar: अमेरिका में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी, जिसे लेकर भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि ब्रिक्स देशों का इरादा अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने का नहीं है और न ही भारत कभी डी-डॉलरीकरण के पक्ष में रहा है. इस दौरान विदेशमंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि इस मामले में ब्रिक्स देश एकमत नहीं है.
ट्रंप के धमकी का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि मैं बिल्कुल निश्चित नहीं हूं कि इसके लिए ट्रिगर क्या था लेकिन हमने हमेशा से ही कहा है कि भारत कभी भी डी-डॉलरीकरण के पक्ष में नहीं रहा है और न ही वर्तमान में ब्रिक्स मुद्रा रखने का कोई प्रस्ताव है. बता दें कि ब्रिक्स देशों में भारत, रूस, चीन और ब्राजील शामिल है.
ट्रंप ने दी चेतावनी
दरअसल, कतर पीएम के निमंत्रण पर विदेश मंत्री जयशंकर दोहा फोरम में भाग लेने के लिए दोहा पहुंचे हैं. जहां उन्होंने कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मामलों के मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान और नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन बार्थ ईदे के साथ एक पैनल में ये सभी बाते कहीं. बता दें कि ट्रंप ने 30 नवंबर को ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर को बदलने के किसी भी कदम के खिलाफ चेतावनी दी थी.
रूस और चीन ने रखा विकल्प
अमेरिकी नवर्निवाचित राष्ट्रपति ने नौ सदस्यीय समूह से प्रतिबद्धता की मांग करते हुए सदस्य देशों को ऐसे प्रयास के लिए 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी. दरअसल, रूस और चीन द्वारा अमेरिकी डॉलर का विकल्प लाने की कोशिश की गई है. वहीं, ब्राजील ने भी एक साझा करंसी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.
डॉलर को हराना चाहता है रूस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिक्स समिट से पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि वो रूस डॉलर को छोड़ना या उसे हराना नहीं चाहता है, क्योंकि उसे डॉलर के साथ काम करने से रोका जा रहा है. यही वजह है कि रूस के लिए डॉलर की जगह किसी दूसरे विकल्प को ढूढ़ना मजबूरी है और इसीपर अमेरिका भड़का हुआ है.
दूसरी करेंसी का समर्थन करने वाले देश इसके लिए रहें तैयार
ऐसे में ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हमें इन देशों के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो न तो नई करेंसी बनाएंगे और न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी करेंसी का समर्थन करेंगे. यदि वो ऐसा करते है तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. साथ ही उन्हें शानदार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में प्रोडक्ट बेचने को गुडबॉय कहने के लिए तैयार रहना चाहिए.
उन्होंने ये भी कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए.
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