Christmas Tree: कब और कहां से शुरू हुई क्रिसमस ट्री की परंपरा? जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Christmas Tree: क्रिसमस का त्‍योहार आने में कुछ ही दिन ही बचे हैं. इसे लेकर लोगों की तैयारियां जोरो पर है. बाजार से लेकर घर तक हर जगह क्रिसमस की धूम देखने को मिल रही है. लोग अपने घरों की सजवाट में लगे हुए है. घरों की साज सज्‍जा में क्रिसमस ट्री का अहम रोल होता है. क्रिसमस के दिन लोग घर में क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) लेकर आते हैं. इस दिन ट्री को लाइट्स आदि कई चीजों से डेकोरेट किया जाता है.

इस ट्री के आसपास क्रिसमस सेलिब्रेट किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस ट्री की परंपरा कब और कहां से शुरु हुई. अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो ये खबर आप जरूर पढ़ें. आज हम आपको क्रिसमस ट्री का इतिहास और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्‍यों के बारे में बताने जा रहे हैं. तो आइए जानते हैं…

क्या है क्रिसमस ट्री का इतिहास

क्रिसमस ट्री का इतिहास ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से पहले का माना जाता है. पहले के लोग एवरग्रीन यानी साल भर हरे रहने वाले पेड़ों को अपने घरों में लगाते थें. अपने घरों को इस पेड़ की डालियों से सजाते थे. उनका मानना था कि ऐसा करने से बूरी शक्तियां दूर रहती है. साथ ही जादू-टोने का असर नहीं पड़ता है. एवरग्रीन पौधों की ताकत और खूबसूरती पर प्राचीन मिस्र और रोम के लोग यकीन करते थे.

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722 ईस्वी से जुड़ी है एक अन्‍य कहानी

क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक अन्‍य कहानी 722 ईस्वी से जुड़ी है. माना जाता है कि जर्मनी के सेंट बोनिफेस को मालूम हुआ कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की बलि देने वाले हैं तो सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को ही काट दिया. उसी ओक ट्री की जड़ के नजदीक एक फर ट्री यानी सनोबर का पेड़ उग गया. सेंट बोनिफेस ने लोगों को उस पेड़ के बारे में बताया कि वह एक पवित्र वृक्ष है. उन्होंने बताया कि पेड़ की डालियां स्वर्ग की ओर इशारा करती हैं. इससे उस पेड़ को लेकर लोगों के मन में सम्मान का भाव पैदा हुआ.

क्रिसमस ट्री की परंपरा को शुरू करने वाला देश जर्मनी

जर्मनी को क्रिसमस ट्री की परंपरा को शुरू करने वाला देश माना जाता है. लोग इसे 16वीं सदी के महान ईसाई धर्म सुधारक मार्टिन लूथर से भी जोड़कर देखते हैं लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है. एक कहानी के अनुसार, करीब 1500 ईस्वी में क्रिसमस की एक पूर्व संध्या वह बर्फ से ढंके जंगल होकर गुजर रहे थे. उन्होंने बर्फ से चमकते क्रिसमस ट्री को देखा. पेड़ की डालियां बर्फ से भरी थीं और चांद की रोशनी में डालियां दूर से ही चमक रही थी. जब वह घर आए तो अपने घर पर सनोबर का एक पेड़ लगाया और उसे छोटे कैंडल से डेकोरेट किया. कहा जाता है कि मार्टिन लूथर ने पेड़ को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में प्रकाशित किया था, तब से क्रिसमस ट्री को सजाने की प्रथा शुरू हो गई.

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