‘आयुर्वेद कहता है कि मैं जो कहता हूं वो करो, बीमार नहीं होंगे…’, भारत एक्सप्रेस के कॉन्क्लेव में बोले आचार्य बालकृष्ण

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Bharat Express Uttarakhand Conclave: देवभूमि उत्तराखंड के गठन के रजत जयंती वर्ष पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क की ओर से देहरादून में ‘नये भारत की बात, उत्तराखंड के साथ’ नाम का मेगा कॉन्क्लेव शुक्रवार (13 दिसंबर) को हो रहा है. इस कार्यक्रम में पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण शामिल हुए और तमाम सवालों के जवाब दिए.

आयुर्वेद से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य है काम करना. जो सामने होती है वो दुनिया को दिखती है और उसके पीछे की जो ऊर्जा होती है वह दिखती नहीं है. किसी भवन को देखकर उसकी नींव या मूल का अंदाजा लगाया जाता है. आज पतंजलि जो कार्य कर रहा है, सुदेश स्वामी जी के नेतृत्व में हमने जो सेवा का संकल्प शुरू किया है उसके मूल में बहुत सारी गतिविधियां हैं, जो हम कर रहे हैं.’

आयुर्वेद प्रकृति के नजदीक है
आयुर्वेद पर लिखी अपनी किताब ‘सौमितृय निदानम्’ को लेकर उन्होंने कहा, ‘कई बार जब आयुर्वेद की बात होती है तो इसके बहुत सारे प्लस पॉइंट हैं. आयुर्वेद प्रकृति के नजदीक है, यह संस्था है, यह निरापद है और यह जीवन पद्धति है. ये हम सबको पता है. पर जब रोगों की बात आती है तो पुराने जमाने में जितने रोगों थे उनका वर्णन शास्त्रों में किया गया, चरक और सुश्रुत संहिता ​में लिखा गया. जिसे हम डायग्नोसिस बोलते हैं, यानी निदान उसके लिए आयुर्वेद में ‘माधव निदान’ प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है. इसमें लगभग सवा 200 रोगों का वर्णन है.’

हमने 18 छंदों के अंदर इस ग्रंथ की रचना की
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि वर्तमान समय में मुख्य रूप से देखें तो 500 से ज्यादा बीमारियां हैं. लोग कहते हैं हम चिकित्सा तो करते हैं, लेकिन उन रोगों का वर्णन आयुर्वेद में क्यों नहीं है, तो हमने कहा कि उन रोगों का वर्णन भी शास्त्रों में समाहित करेंगे. उसकी कल्पना है ‘सौमितृय निदानम्’. हमने 18 छंदों के अंदर इस ग्रंथ की रचना की, ताकि हम दुनिया से कह सकें कि हम चिकित्सा में भी अग्रणी हैं और रोगों की गणना तथा उसके लक्षणों की जानकारी में भी आयुर्वेद दुनिया में कहीं पीछे नहीं है. इस कार्य को हमने पतंजलि के माध्यम से हमने किया है.’

एलोपैथी का विरोध नहीं
एलोपैथी से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘एलोपैथी का विरोध न हमने कभी किया और न हम करते हैं. विरोध है लूट का. किसी भी चिकित्सा पद्धति के नाम पर यदि हमको जबरन लूटा जाएगा, अनावश्यक औषधियां दी जाएंगी, हमें विविध तरह के परीक्षणों में डाला जाएगा, तो चाहे वो आयुर्वेद हो, एलोपैथ हो, किसके नाम से क्या कर रहे हैं, उससे हमको मतलब नहीं है, हमको मतलब है, लोगों को सही चिकि​त्सा मिले और गड़बड़ कोई भी न कर सके. इसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं.’

कम उम्र में हार्ट अटैक
कम उम्र में हार्ट अटैक से मौत के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘सबसे बड़ी बात है कि हमको लगता है कि हमें रोग नहीं, पर अगले क्षण क्या होगा, यह हमको पता नहीं. इतनी भयावह स्थिति दुनिया में पहले कभी नहीं रही. इससे बचाव का उपाय है प्रकृति और सृष्टि की जो प्रक्रिया है, जो व्यवस्था है, नेचर का जो रूल है, हमको उसका फॉलो करना है. जब तक हमारी दिनचर्या, हमारा रूटीन, हमारी लाइफस्टाइल, जो हमारा खानपान, रहन सहन है, यदि हम उसको ठीक नहीं करते हैं तो कभी भी, कहीं पर भी, कुछ भी हो सकता है. हम यह सोचकर नहीं रह सकते हैं कि मैं अब ठीक हूं’.

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