दिल्ली दंगा मामला: कड़कड़डूमा कोर्ट से उमर खालिद को मिली अंतरिम जमानत

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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नई दिल्लीः कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश से जुड़े मामले में आरोपी उमर खालिद को सात दिन की अंतरिम जमानत दी है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद को 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक मौसेरी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी.

जानें कौन हैं जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद
मालूम हो कि लगभग तीन दशक पहले उमर खालिद का परिवार महाराष्ट्र के अमरावती के तालेगांव से दिल्ली आकर बस गया था. उमर परिवार के साथ दिल्ली के जाकिरनगर में रहता है. हालांकि, किसी ने उन्हें यहां शायद ही कभी देखा होगा. ऐसा बताया जाता है कि उनके पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में ही ऊर्दू की मैगजिन ‘अफकार-ए-मिल्ली’ चलाते हैं. खालिद जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी कर रहे हैं. यहीं से वह इतिहास में एमए और एमफिल कर चुके हैं.

खालिद जिस डीएसयू संगठन से जुड़े हैं, उसे सीपीआई माओवादी समर्थित छात्र संगठन माना जाता है. 9 फरवरी को देश विरोधी नारे लगाने का आरोप लगने के बाद उमर खालिद अचानक गायब हो गए थे. उन्हें पकड़ने के लिए दिल्ली पुलिस ने कई जगहों पर रेड की थी. जिसके बाद खबरें आई थी कि उनका संबंध आतंकी संगठन से है. ऐसी भी खबरें सामने आई थीं कि खालिद कई विश्वविद्यालयों में आतंकी अफजल गुरु का गुणगान करवाना चाहता था. जेएनयू जैसा कार्यक्रम उसने देश के 18 विश्वविद्यालयों में करने की योजना बनाई थी.

जेएनयू के छात्रों के मुताबिक, खालिद ने अपने साथियों के साथ जेएनयू कैंपस में हिंदू देवी देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत फैलाने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं, वह उस समारोह में भी शामिल थे जब आतंकी अफजल की फांसी पर जेएनयू कैंपस में मातम मनाया गया था. खालिद इससे पहले कई मौकों पर कश्मीर की आजादी की मांग उठाते रहे हैं. 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जब सीआरपीएफ जवानों की हत्या हुई थी तो उसपर जश्न मनाने वाले लोगों में वह भी शामिल थे. हालांकि, इस मामले पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.

26 जनवरी 2015 को ‘इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल’ के बहाने कश्मीर को अलग देश दिखाकर उसका स्टॉल लगाया गया. जब नवरात्रि के दौरान पूरा देश देवी दुर्गा की आराधना कर रहा था, उसी समय जेएनयू में दुर्गा का अपमान करने वाले पर्चे, पोस्टर जारी कर ना केवल अशांति फैलाई गई, बल्कि महिषासुर को महिमामंडित कर महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया गया. इन कई आयोजनों से उमर खालिद पहले भी सवालों के घेरे में आ चुके हैं.

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