Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, धर्म के नाम पर आज लड़ाई ज्यादा है। धर्म विज्ञान को नहीं समझा, इसलिए यह लड़ाई झगड़ा है। धर्म विज्ञानमय हो और विश्व के विज्ञान में धर्म हो। विज्ञान धर्ममय नहीं होगा तो विज्ञान द्वारा विकास कम, विनाश ज्यादा होगा। विज्ञान का उपयोग कैसे होगा? विज्ञान विकास के काम आये, धर्म ही समाधान है, धर्म ही समस्या है। दोष धर्म का नहीं है, दोष तथा कथित धार्मिकों का है।
धर्म गलत बातों में गया तो समस्या बनेगा,अगर सही हाथों में गया तो समाधान होगा। स्वयं की ओर यात्रा करें और अपने आपको स्थिर करे वही स्वस्थ है। सबसे बड़ा है भवरोग। भवरोग मिटाने वाली श्रीरामकथा है। भगवान श्रीराम की कथा भवरोग मिटाने वाली है। औषधि कड़वी हो तो भी पीना पड़ता है। यह श्रीरामकथा मीठी अमृत तुल्य है। भावरोग नाश करने वाली है। यह औषधि मुख से पीने की नहीं है, कान से पीने की है। यह औषधि देने वाले लालची नहीं होने चाहिए।श्रीराम कथा निवृत्ति देव महादेव भगवान् शिवाजी महाराज।
जैसे वैद्य ने दी है। कथा मनोरंजन के लिये नहीं, मानोमंथन के लिये है। ज्ञान तो हमारे पास है लेकिन हम उसका आदर नहीं करते। सत्य तो हमारे पास है। उसका आदर नहीं करते। हमें सत्य और ज्ञान का आदर करना चाहिए। तदनानुसार जीवन बनता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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