भारत एक परिवर्तनकारी युग के मुहाने पर खड़ा है, जहाँ स्टार्ट-अप्स इसकी आर्थिक वृद्धि के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में तैनात हैं. बेंगलुरु स्थित वेंचर कैपिटल फर्म कलारी कैपिटल ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि देश के स्टार्ट-अप्स 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 120 बिलियन डॉलर का योगदान कर सकते हैं, जो मौजूदा स्तर से लगभग 3.5 गुना वृद्धि है. 2023 में, भारतीय स्टार्ट-अप ने देश की जीडीपी में 35 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है.
जीडीपी में लगभग 5-10% है टेक स्टार्ट-अप का योगदान
यह संख्या 2047 तक बढ़कर 1.6 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है, जब भारत 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखता है. अगर हम विकसित देशों की बात करें, तो उनके जीडीपी में टेक स्टार्ट-अप का योगदान लगभग 5-10% है. इन उपक्रमों ने भारतीयों के लिए जीवन के नए-डिजिटल तरीके को परिभाषित किया है, जो खाद्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त आदि क्षेत्रों में उभरती प्रौद्योगिकी द्वारा प्रेरित है.
26 यूनिकॉर्न वाले फिनटेक सेक्टर में पांच गुना वृद्धि होने की उम्मीद
इनमें से एडटेक बाजार के 2030 तक 20% की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है. इस वृद्धि प्रक्षेपवक्र का समर्थन करते हुए, एडटेक स्टार्ट-अप ने अब तक निवेशकों से $12 बिलियन से अधिक का फंड जुटाया है. दूसरी ओर, हेल्थटेक स्टार्ट-अप ने भारत में डिजिटलीकरण को बढ़ाने के लिए $7 बिलियन का फंड जुटाया है. 26 यूनिकॉर्न वाले फिनटेक सेक्टर में अगले तीन वर्षों में पांच गुना वृद्धि होने की उम्मीद है.
भारत की आर्थिक प्रगति के लिए डीपटेक महत्वपूर्ण
इसने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत की आर्थिक प्रगति के लिए डीपटेक महत्वपूर्ण है. रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्तमान में, भारत दुनिया के तीसरे सबसे बड़े डीपटेक इकोसिस्टम की मेजबानी करता है. 2030 तक डीपटेक स्टार्ट-अप की संख्या 3,600 से बढ़कर लगभग 10,000 हो जाएगी। इसलिए, इस क्षेत्र में फंडिंग भी बढ़ेगी.”
उन्होंने कहा, डीपटेक क्षेत्र मुख्य रूप से स्पेसटेक, क्लाइमेटटेक, सेमीकंडक्टर, मोबिलिटी और ईवी तथा साइबर-फिजिकल सिस्टम द्वारा संचालित होगा. भारत को अपना पहला निजी तौर पर प्रबंधित डीपटेक इनोवेशन हब भी मिला है, जो इनक्यूबेशन केंद्रों से उत्तीर्ण सदस्यों को एकजुट करके 100 मिलियन डॉलर जुटाएगा और उन्हें अपने नवीन विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए समर्थन प्रदान करेगा.