China-Tibet Relation: तिब्बत में चीन के कब्जे को लेकर भड़कती चिंगारी अब आग का रूप धारण करने लगी है. दरअसल इस साल के शुरुआत में ही तिब्बत में चीन के खिलाफ बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ था, जिसकी जानकारी BBC ने अपनी रिपोर्ट में दी है. हालांकि तिब्बत में इस तरह का विरोध प्रदर्शन बहुत ही दुर्लभ है.
बता दें कि चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने साल 1950 में ही तिब्बत पर कब्जा किया था, जिसके बाद से ही तिब्बत में चीन का सख्त कानून लागू है, लेकिन इतनी सख्ती के बावजूद तिब्बत में इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन का होना इस बात का संकेत देता है कि अब तिब्बत के लोग चीन के अत्याचारों को और सहने को तैयार नहीं है.
क्या है तिब्बत में विरोध प्रदर्शन की वजह?
तिब्बत में बनाए जा रहे बांध को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों की BBC ने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है, जिसके मुताबिक, चीन ने इस विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ा पैमाने पर दमन अभियान चलाया था. इस दौरान सैकड़ों तिब्बती लोगों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें यातनाएं दी गईं. वहीं, तिब्बत में चीनी अत्याचार को सच साबित करते हुए कई लीक वीडियो भी सामने आए हैं.
चीनी बांध से डूब जाएगी तिब्बती संस्कृति
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के अधिकारी तिब्बत में गंगटू बांध और हाइड्रो पावर प्लांट बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसे तिब्बती में कामटोक भी कहा जाता है. चीन की यह प्रस्तावित परियोजना डेगे और जियांगडा में फैली घाटी में हैं. इसे लेकर जानकारों का कहना है कि इस बांध के बन जाने के बाद इसकी झील तिब्बतियों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके को डुबो देगी, जिसमें तिब्बत कई पवित्र मठ भी शामिल है. इतना ही नहीं, इस बांध के बनने से हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा.
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