Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, रावण जिसको हम असुर कहते हैं, राक्षस कहते हैं, वह भी वैर करके अपना उद्धार करा लेता है। हम रावण जितने पापी नहीं है, हम असुर, राक्षस नहीं हैं। फिर भी हम अपना उद्धार नहीं करा पाते। कारण एक ही है, रावण का दृढ़ निश्चय था और हम माला भी जपते हैं तो उलझ जाते हैं। भगवान को कहना पड़ा-
मंत्र जाप मम दृढ़ विश्वासा।
पंचम भजन सो वेद प्रकाशा।।
समय को दोष देने की आवश्यकता नहीं है। सोये रहेंगे तो कलियुग में हैं। जाग जायेंगे तो द्वापर में है, और उठ खड़े हो जायेंगे तो त्रेता में हैं और लक्ष्य की ओर यदि हम चल दिये तो हम सतयुग में हैं।
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूज्या पूज्य व्यति क्रमः।
त्रीणि तत्र प्रजायन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम्।।
समाज में जब अपूजनीय अर्थात् न पूजने योग्य की पूजा की जाय और पूजनीय की पूजा करने का, सम्मानित करने का सुअवसर खो जाय, तब समाज में तीन घटनाएं घटित होती हैं- अकाल पड़े, अपमृत्यु आये और भय प्रसारित हो।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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