ISRO launch Spadex Mission: भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो 30 दिसंबर को स्पैडेक्स मिशन लॉन्च करेगा. यह मिशन अंतरिक्ष में स्पेसक्राफ्ट को जोड़ने और अलग करने की तकनीक का प्रदर्शन करेगा. इस मिशन को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा.
इसकी जानकारी इसरो ने दी है. यह मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह भविष्य के कई चंद्र अभियानों, नमूने वापस लाने और भारतीय अंतरिक्ष केंद्र के निर्माण के लिए काफी अहम है.
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PSLV-C60, fully integrated up to PS4 at the PIF facility for the first time, was moved to the MST at the First Launch Pad—over 3 hours captured in just a few seconds. 🛰️#ISRO #PSLVC60 #SPADEX pic.twitter.com/eaje72wFDD
— ISRO (@isro) December 23, 2024
इस मिशन में होंगे दो छोटे अंतरिक्ष यान
सोमवार को इसरो ने बताया कि 21 दिसंबर को लान्चिंग यान को पूरी तरह एक कर पहले लॉन्च पैड पर एक जगह से दूसरी जगह पर कर दिया गया. पहली बार इस प्रक्रिया को पीआईएफ सुविधा में PS4से किया गया. सोशल मीडिया मंच एक्स पर इसरो ने इस प्रक्रिया का वीडियो भी शेयर किया है. स्पैडेक्स मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान होंगे, जो 470 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में 55 डिग्री झुकाव के साथ लॉन्च किए जाएंगे.
दुनिया का चौथा देश बनेगा भारत
ISRO ने स्पैडेक्स मिशन को एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन के तौर पर वर्णित किया है. इसमें पीएसएलवी-सी60 से दो फ्री-स्पेसक्राफ्ट को स्पेस में लॉन्च किया जाएगा. दोनों स्पेसक्राफ्ट का वजन करीब 220 किग्रा है.
ये स्पेसक्राफ्ट एक साथ कक्षा में जाकर डॉकिंग प्रक्रिया का प्रदर्शन करेंगे. अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक कई साझा मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए जरूरी है. यदि मिशन कामयाब रहा तो भारत यह तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.
ऐतिहासिक लॉन्च को ऐसे देख सकेंगे लोग
इस ऐतिहासिक लॉन्च को आम लोगों के साथ साझा करने का भी फैसला लिया गया है. लोग इसरो की लॉन्च व्यू गैलरी में जाकर इस लॉन्चिंग को लाइव देख सकते हैं. इसके लिए सोमवार शाम छह बजे से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है. इसके लिए इसरो की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है. यह लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ ही युवा वैज्ञानिकों और लोगों में अंतरिक्ष के प्रति रुचि जागृत करने की भी कोशिश है.
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