स्मार्टफोन से भारत के इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात को रफ्तार मिली है. यह बीते वित्त वर्ष के शुरुआती आठ महीनों के 17.66 अरब डॉलर से करीब 28 फीसदी बढ़कर चालू वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल से नवंबर की अवधि में 22.5 अरब डॉलर याने 1,92,132 करोड़ रुपये हो गया है. इस रिकॉर्ड प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2025 में भारत के शीर्ष 10 निर्यात में इलेक्ट्रॉनिकी तेजी से बढ़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, जो बीते वित्त वर्ष के शुरुआती 8 महीनों मे छठे स्थान पर था.
इलेक्ट्रॉनिकी के आगे सिर्फ इंजीनियरिंग वस्तु और पेट्रोलियम निर्यात का स्थान
इलेक्ट्रॉनिकी के आगे सिर्फ इंजीनियरिंग वस्तु और पेट्रोलियम निर्यात का स्थान है. इस उछाल का सबसे बड़ा कारण स्मार्टफोन उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना है, जिसके कारण स्मार्टफोन निर्यात वित्त वर्ष 2025 के शुरुआती 8 महीनों में 13.11 अरब डॉलर याने 1,11,949 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. यह बीते वित्त वर्ष की समान अवधि के 9.07 अरब डॉलर के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से 45 फीसदी की वृद्धि है.
इलेक्ट्रॉनिकी वस्तु निर्यात में 51 फीसदी था स्मार्टफोन का हिस्सा
बीते वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 8 महीनों में कुल इलेक्ट्रॉनिकी वस्तु निर्यात में स्मार्टफोन का हिस्सा 51 फीसदी था, जो इस साल अप्रैल से नवंबर के बीच बढ़कर 58 फीसदी हो गया. उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त वर्ष 2025 के अंत तक कुल इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात में स्मार्टफोन का योगदान 60 से 65 फीसदी के बीच पहुंच सकता है. इस वर्ष कुल इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी ऐपल के आईफोन के निर्यात की है.
स्मार्टफोन पीएलआई योजना के बाद भारत में ऐपल के प्रवेश के बाद इसके तीनों वेंडर- फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन (दोनों तमिलनाडु में हैं) और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (कर्नाटक) ने स्मार्टफोन निर्यात बढ़ाने में मदद की है. स्मार्टफोन के अलावा इलेक्ट्रॉनिकी वस्तुओं के निर्यात की अन्य बड़ी श्रेणियों में सौर मॉड्यूल, डेस्कटॉप एवं सर्वर, राउटर और पुर्जे शामिल हैं.
पीएलआई योजना से इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात को मिला फायदा
इंडिया सेलुलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के चेयरमैन पंकज महिंद्रू ने कहा, ‘पीएलआई योजना से इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात को काफी फायदा मिला है. इस बढ़त को बरकरार रखने के लिए हम सरकार के साथ टैरिफ, कर और लॉजिस्टिक सुधार पर काम कर रहे हैं, जो एक कठिन वैश्विक उद्योग में भारत की प्रतिस्पर्धी बढ़त को बनाए रखने के लिए जरूरी है और जहां हम चीन और वियतनाम से बाजार हिस्सेदारी खींचने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.’
उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र का निर्यात न केवल बढ़ रहा है, बल्कि दूसरे स्थान पर मौजूद पेट्रोलियम निर्यात के मुकाबले इसके प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है. वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 8 महीनों में पेट्रोलियम निर्यात के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात की हिस्सेदारी एक तिहाई से भी कम थी. इस साल इसकी अवधि के दौरान इलेक्ट्रॉनिकी निर्यात 44.60 अरब डॉलर के पेट्रोलियम निर्यात के आधे तक पहुंच गया है.
पिछले तीन वर्षों में मोबाइल विनिर्माण उद्योग ने सरकार से मोबाइल फोन पुर्जों पर भारत के प्रभावी टैरिफ को कम करने का अनुरोध किया है, जो 7 से 7.2 फीसदी के दायरे में है. ये चीन में मोबाइल पुर्जों पर करीब शून्य टैरिफ से काफी अधिक है क्योंकि वहां अधिकांश उत्पादन बॉन्डेड विनिर्माण क्षेत्र में किया जाता है. वियतनाम का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारित औसत टैरिफ 0.7 भी भारत के मुकाबले काफी कम है.