वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क पोर्टल के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2024 में व्यवसायों द्वारा जारी किए गए ई-वे बिलों की संख्या 112 मिलियन तक पहुंच गई. यह आंकड़ा पिछले 24 महीनों में दूसरा सबसे ऊंचा स्तर है. पिछले साल की तुलना में इसमें 17.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. नवंबर 2024 में यह संख्या 101.8 मिलियन थी, जो पिछले पांच महीनों में सबसे कम थी. 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल की आवाजाही के लिए ई-वे बिल जरूरी होता है. यह अर्थव्यवस्था में मांग और आपूर्ति के रुझानों का प्राथमिक संकेतक है.
इन आंकड़ों से अक्सर व्यापक आर्थिक संकेतकों का पूर्वानुमान लगाया जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर में ई-वे बिलों में आई वृद्धि का असर जनवरी 2025 के जीएसटी संग्रह पर दिख सकता है. यह आंकड़े 1 फरवरी 2025 को जारी किए जाएंगे. पीडब्ल्यूसी के पार्टनर प्रतीक जैन के मुताबिक, “दिसंबर में ई-वे बिलों की संख्या में बढ़ोतरी सकारात्मक संकेत है. यह बताता है कि नवंबर की तुलना में दिसंबर में खपत अधिक थी. इसका असर जीएसटी संग्रह में देखने को मिलेगा.”
त्योहारी सीजन का प्रभाव
अक्टूबर 2024 में त्योहारी सीजन के कारण ई-वे बिल का आंकड़ा 117.2 मिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. दिसंबर के आंकड़ों में तिमाही के अंत में बिक्री में सामान्य बढ़ोतरी का भी योगदान है. ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, “ई-वे बिल की संख्या में वृद्धि विनिर्माण गतिविधियों में सुधार का संकेत है. यह आर्थिक विकास और सुधार की दिशा में सकारात्मक कदम है. वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब केवल तीन महीने बचे हैं, और यह वृद्धि जीडीपी को मजबूती प्रदान कर सकती है.”
PMI सूचकांक से भिन्नता
हालांकि, ई-वे बिल के आंकड़े एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई सूचकांक के रुझानों से अलग हैं. एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 में पीएमआई 56.4 पर पहुंच गया, जो 12 महीने का सबसे निचला स्तर है. दिसंबर में ई-वे बिल के आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में सुधार और वृद्धि का संकेत दे रहे हैं, जो आने वाले महीनों में बेहतर जीएसटी संग्रह और अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत देते हैं.