2026-27 में 6.7 प्रतिशत रहेगी जीडीपी वृद्धि, राजकोषीय घाटे में लगातार कमी आने की उम्मीद: विश्व बैंक

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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अपनी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा है कि टैक्स रेवेन्यु बढ़ने के कारण भारत के राजकोषीय घाटे में लगातार कमी आने की उम्मीद है. इस प्रवृत्ति को सरकार के राजकोषीय समेकन प्रयासों को मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में राजकोषीय घाटे में कमी जारी रहने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण कर राजस्व में वृद्धि है.” जबकि दक्षिण एशिया में राजकोषीय घाटे के तंग बने रहने का अनुमान है.

भारत अपनी सुधरती राजकोषीय स्थिति के साथ अलग खड़ा है. इसके विपरीत, पाकिस्तान में हाई इंटरेस्ट पेमेंट और बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के निवेश द्वारा राजकोषीय समायोजन की भरपाई के कारण अन्य दक्षिण एशियाई देशों में राजकोषीय घाटे के स्थिर रहने का अनुमान है. रत के पॉजीटिव ट्राजेक्टरी के बावजूद विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि दक्षिण एशिया में सरकारी ऋण से जीडीपी अनुपात उच्च बना रहेगा. हालांकि, इसमें धीरे-धीरे गिरावट आएगी. लगातार उच्च उधारी लागत के कारण कई देशों में ऋण-सेवा खर्च में वृद्धि होने की उम्मीद है.

2026-27 में 6.7 प्रतिशत हेगी जीडीपी वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर विनिमय दरों के समर्थन से प्रक्षेपण अवधि के दौरान क्षेत्र में इनफ्लेशन में कमी आने का अनुमान है. भारत, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में इनफ्लेशन तय सीमा के भीतर या उससे नीचे रहने की उम्मीद है. भारत को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने का भी अनुमान है, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 और वित्त वर्ष 2026-27 के लिए 6.7% की GDP वृद्धि का अनुमान है. रिपोर्ट में भारत के सेवा क्षेत्र में निरंतर वृद्धि और विनिर्माण गतिविधि में मजबूती पर प्रकाश डाला गया है, जो रसद बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और कर नियमों को सरल बनाने के लिए सरकारी पहलों से प्रेरित है.

लेबर मार्केट में सुधार ऋण उपलब्धता में वृद्धि और इनफ्लेशन में कमी के कारण निजी खपत में वृद्धि की उम्मीद है, जबकि सरकारी खपत वृद्धि संयमित रह सकती है. भारत में निवेश वृद्धि मजबूत रहने की उम्मीद है, जो बढ़ते निजी निवेश, मजबूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट और बेहतर वित्तपोषण स्थितियों पर आधारित है. इन कारकों से आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक लचीलापन बढ़ने की उम्मीद है.

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