अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सोमवार को अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता (बर्थ राइट सिटीजनशिप) को खत्म करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए. आदेश यह सुनिश्चित करेगा कि विदेशी पासपोर्ट धारकों के बच्चों को अब अमेरिकी नागरिक नहीं माना जाएगा. इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो देश में कानूनी रूप से रह रहे हैं, जैसे टूरिस्ट, स्टूडेंट और वर्क वीजा पर रहने वाले लोग.
डोनाल्ड ट्रंप का यह आदेश भारतीयों पर गहरा असर डाल सकता है जानते हैं कैसे –
क्या है जन्मसिद्ध नागरिकता?
जन्मसिद्ध नागरिकता वह कानूनी सिद्धांत है जिसके अनुसार बच्चे उस देश की नागरिकता प्राप्त करते हैं जिसमें उनका जन्म हुआ है, भले ही उनके माता-पिता की राष्ट्रीयता या इमिग्रेशन स्टेट्स कुछ भी हो. अमेरिकी संविधान में 14वां संशोधन को लंबे समय से अमेरिकी धरती पर पैदा हुए लगभग सभी बच्चों को नागरिकता देने के रूप में पढ़ा जाता रहा है. इसे 1868 में गृह युद्ध के बाद अपनाया गया था ताकि पूर्व में गुलाम बनाए गए लोगों की स्थिति को स्पष्ट किया जा सके. इसमें कहा गया है कि “संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे या प्राकृतिक रूप से बसे सभी व्यक्ति, संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक हैं.”
डोनाल्ड ट्रम्प ने क्या कहा ?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को जन्मसिद्ध नागरिकता के खिलाफ एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए इसे ‘बिल्कुल हास्यास्पद’ अवधारणा करार दिया. उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिका ‘दुनिया का एकमात्र देश’ है, जिसके पास ऐसा नियम है. विवादास्पद आदेश को कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है – लेकिन व्हाइट हाउस का मानना है कि इसमें बदलाव के लिए ‘बहुत अच्छे आधार’ हैं.
कार्यकारी आदेश क्या करेगा ?
सोमवार को ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में जन्मे बच्चे– [जिनके माता-पिता में से कम से कम एक नागरिक या वैध स्थायी निवासी नहीं है– को अब स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी. यह फेडरल एजेंसियों को ऐसे बच्चों के लिए अमेरिकी नागरिकता साबित करने वाले प्रासंगिक दस्तावेज जारी करने या मान्यता देने से भी रोकता है. यह आदेश अनधिकृत अप्रवासियों और अस्थायी वीजा पर अमेरिका में वैध रूप से रहने वाले – दोनों के बच्चों को लक्षित करता है.
क्या यह तुरंत लागू होगा ?
ट्रंप द्वारा आदेश पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद तक प्रक्रिया में कोई तत्काल बदलाव नहीं हुआ. कार्यकारी आदेश 20 फरवरी तक प्रभावी होने वाला है, लेकिन इसके लिए कई कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ेगा. नागरिकता खंड अमेरिकी संविधान का हिस्सा है, और जन्मसिद्ध नागरिकता भी कानूनी द्वारा समर्थित है. कई रिपोर्ट्स एक्सपर्ट्स की हवाले से यह भी दावा करती हैं कि जन्मसिद्ध नागरिकता से संबंधित कानूनों में पूरी तरह से बदलाव असंभव है. इस आदेश ने कई समाज के कई हिस्सों में आक्रोश पैदा किया है, जिसमें कई प्रभावशाली आवाजें इस फैसले के खिलाफ़ बोल रही हैं. अप्रवासी और नागरिक अधिकार अधिवक्ताओं – जिसमें अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन भी शामिल है – ने भी सोमवार को इस आदेश के खिलाफ़ मुकदमा दायर किया.
भारतीयों पर कैसे पड़ेगा इस फैसले का असर
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नवीनतम जनगणना के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में 5.4 मिलियन से अधिक भारतीय हैं, जो अमेरिकी आबादी का लगभग 1.47 फीसदी है. इनमें दो-तिहाई अप्रवासी हैं, जबकि 34% अमेरिका में जन्मे हैं. यदि ट्रंप के कदम को लागू किया जाता है, तो अस्थायी वर्क वीजा या टूरिस्ट वीजा पर अमेरिका में रहने वाले भारतीय नागरिकों के बच्चों को अब स्वचालित रूप से नागरिकता नहीं मिलेगी. कार्यकारी आदेश का उद्देश्य देश में बर्थ टूरिज्म के ट्रेंड को समाप्त करना भी है. बर्थ टूरिज्म एक ऐसे ट्रेंड को कहते हैं जिसमें एक महिला देश में बच्चे को जन्म देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करती है, ताकि उसे स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता मिल जाती है.
–आईएएनएस
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