LGBTQ+ couples in Thailand: नेपाल और ताइवान के बाद थाईलैंड ने भी समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है. इसको लेकर एक नया कानून भी पारित किया है. अपने इस कदम के बाद थाईलैंड सेमसेक्स मैरिज को वैध करने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला और एशिया का तीसरा देश बन गया है. देश में मैरिज इक्वलिटी एक्ट को कानूनी मान्यता दी गई है. आज यानी गुरुवार से यह कानून थाइलैंड में लागू हो गया है. उम्मीद है कि कानून लागू होने के पहले दिन यानी आज करीब 300 एलजीबीटीक्यू कपल्स शादी रचाएंगे.
आज से कानून लागू
जानकारी दें कि थाईलैंड में करीब साल से समलैंगिक विवाह को वैध करने की मांग की जा रही थी. अब इस मांग को थाईलैंड की सरकार ने पूरी कर दी है. अब 18 साल या इससे अधिक उम्र के लोग भी सेम सेक्स में शादी कर सकते हैं. आज से एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को समलैंगिक शादी करने के लिए लीगल स्टेटस मिल जाएगा.
बैंकॉक में आज करीब 300 कपल्स रचाएंगे विवाह
देश की राजधानी बैंकॉक के एक शॉपिंग मॉल में आज यानी गुरुवार को एक भव्य समारोह आयोजित किया गय है. इसमें करीब 300 जोड़े समलैंगिक शादी के लिए अपनी औपचारिकताएं पूरा करेंगे. इसमें पार्टनर को सभी अधिकार दिए गए हैं. मैरिज इक्वलिटी एक्ट को पार्लियामेंट के दोनों सदनों से पारित किया गया था. संसद ने सिविल और कमर्शियल कोड में संशोधन भी किया.
मैरिज पार्टनर को दिए गए सभी अधिकार
थाईलैंड की पार्लियामेंट ने कोड में बदलाव करके पति और पत्नी की जगह इंडिविजुअल और मैरिज पार्टनर कर दिया है. कानून में LGBTQ+ जोड़ों के लिए वो सभी अधिकार प्रदान किए गए हैं, जो एक आम शादी यानी पति-पत्नी में होती है. एलजीबीटीक्यू कपल्स के लीगल, फाइनेंशियल और मेडिकल सभी में एक समान अधिकार होगा. संपत्तियों में भी संयुक्त पहुंच होगी.
कहां लीगल, कहां पर बैन ये समलैंगिक शादी
वर्तमान में फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, बेल्जियम सहित दुनिया के 31 देशों के संविधान में समलैंगिक शादी लीगल है. वहीं, ऐसे भी कई देश हैं, जहां इस शादी पर प्रतिबंध है. यमन, ईरान, ब्रुनेई, नाइजीरिया, कतर सहित दुनिया के 13 देशों में आज भी सेमसेक्स मैरिज करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है.
शादी करने पर मौत की सजा दी जाती है. भारत में भी सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने से मन कर दिया था. इसके अलावा कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता तो नहीं मिली है. हालांकि इसे अपराध भी नहीं माना गया है. इन देशों में भारत, चीन, श्रीलंका, ब्रिटेन और रूस शामिल हैं.
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