World Book Fair 2025: दिल्ली स्थित ‘भारत मंडपम’ में आयोजित ‘भारत लिटरेचर फेस्टिवल’ में आज केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पहुंचे. इस दौरान “भारत लिटरेचर फेस्टिवल” के संरक्षक भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने गजेंद्र सिंह शेखावत का इंटरव्यू किया. केंद्रीय मंत्री ने सभी सवालों का बड़ी बेबाकी से जवाब दिया. आइए आपको बताते हैं उन्होंने क्या कुछ-कहा…
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की हैसियत कितनी बढ़ी?
भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन, CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सवाल किया. उन्होंने पूछा- भारत में पर्यटन को बढ़ाने का जिम्मा आपके कंधों पर है, आप क्या देखते हैं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की हैसियत कितनी बढ़ी है? केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कैबिनेट को हेड नरेंद्र मोदी जी करते हैं. मेरी उम्र अभी 56 साल है. वह मुझसे लगभग 20 साल बड़े हैं. मैं स्काईडाइविंग के लिए आसमान से कूदा था. वह जमीन में नीचे पानी में द्वारका तक गए. जिस रेलगाड़ी का इंजन इतना ताकतवर, प्रभावशाली और इतना फिट हो, उस रेलगाड़ी के डिब्बों को दौड़-दौड़कर अपने आप ही फिट होना पड़ता है.”
भारत गांधी जी पर रुक गया था: केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पिछले 10 साल में भारत ने एक बड़ी यात्रा तय की है. आज से 15-20 साल पहले कोई भारत के बाहर जाता था, तो सामने वाला शख्स उसकी सूरत और पहनावा देखकर पूछता था कि आप कहां के रहने वाले हैं. तब सामान्य भारतीय या टूरिस्ट के तौर पर खुद का परिचय देने में वह संकोच करता था. वह बहुत धीरे से कहता था भारत से हूं. तब सामने वाला कहता था ओ…. इंडिया… ‘मिस्टर गांधी’. भारत गांधी जी पर रुक गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने 10 साल में भारत को नई पहचान दी है.”
10 सालों में क्या बदला
उन्होंने कहा कि अब आपको भारत में बाहर जाने पर दो चीज टेस्ट करने को मिलेगी. जैसे ही आप विदेश में बताएंगे कि आप भारत से हैं, वैसे ही सामने वाले के चेहरे पर बिनाका स्माइल, कोलगेट स्माइल दिखेगी. उसके सारे दांत दिखने लग जाएंगे, वह प्रसन्न हो जाएगा. दूसरा वह कहेगा ओ… मिस्टर मोदी… ये दो चीज हैं जो बदली हैं. यह काम माननीय प्रधानमंत्री ने पिछले 10 सालों में किया है.
पिछले 10 साल में भारत की पहचान बदली
पिछले 10 साल में भारत की पहचान बदलने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया है. लाखों कुर्बानियां और संघर्षों के बाद इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को भारत में अंगीकार किया गया. बंदूक की गोलियां खाकर, बर्फ पर लिटाकर यातना झेलकर, कोड़े की मार और बैल की जगह काम करके आजादी की बड़ी कीमत चुकाकर हमें आजादी मिली है. आज भारत 140 करोड़ जनमानस को निराशा के अंधकार से निकालकर आगे बढ़ रहा है. कुछ परसेंट लोगों को छोड़कर इस बात को पूरा भारत मानता है.
कुंभ की महत्ता पर रोज क्यों आर्टिकल लिख रहे केंद्रीय मंत्री?
भारत एक्सप्रेस के CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने केंद्रीय मंत्री से पूछा कि महाकुंभ को लेकर विश्व भर में चर्चा है. एक छोटा सा हादसा भी हुआ. आप कुंभ की महत्ता पर रोज आर्टिकल लिख रहे हैं. क्या कुंभ के सांस्कृतिक महत्व को लेकर जितनी मार्केटिंग होनी थी या संदेश जाना चाहिए था, वह उसे लेवल पर नहीं जा पा रहा है. आप इसे कैसे देखते हैं?
कुंभ प्रदूषण मानसिकता वाले लोगों के गाल पर तमाचा: केंद्रीय मंत्री
इस सवाल का जवाब देते हुए मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘कुंभ उन सब लोगों की प्रदूषण मानसिकता के गाल पर एक तमाचा है, जिन्होंने नियोजित रूप से ये स्थापित करने का प्रयास किया कि भारत अंग्रेजों के आने से पहले या मुगल सत्ता के अधीन होने से पहले किसी राष्ट्र के स्वरूप में नहीं था. कुंभ उन सब लोगों को एक जवाब है. हम भारत की सभ्यता और विकास को निश्चित रूप से लोगों के बीच लेकर आएंगे. इसके लिए हम सब लोग प्रयासरत हैं. हम देश के करोड़ों पांडुलिपियों को एक साथ डिस्क्राइब करेंगे, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता के उसे सामने लाएंगे.”
कुंभ इतना बड़ा कैसे हो गया?
उन्होंने कहा कि किसी ने मुझसे सवाल किया कि ये कुंभ इतना बड़ा कैसे हो गया? 12 साल में कुंभ होता था, अबकी बार कुंभ की चर्चा पूरी दुनिया में इतनी क्यों हो रही है. ऐसा क्यों? भारत ने पिछले 10 साल में जिस गति से विकास किया है. इस वजह से पूरी दुनिया भारत के कुंभ पर नजर बनाए हुए है. यह ऐसा अवसर है, जिससे हम भारत की एकता और अखंडता को प्रदर्शित कर सकते हैं. इस दौरान उन्होंने महाभारत युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि कौरव पांडव की सेना आमने-सामने खड़ी थी.
व्याख्यान देकर भारत नहीं समझा जा सकता: केंद्रीय मंत्री
युद्ध से पहले अर्जुन ने कहा कि मैं अपने गुरू और सगे संबंधियों पर कैसे शस्त्र चलाऊं? तब भगवान ने उपदेश किया. 700 श्लोक के संवाद के बाद भी कृष्ण जैसे गुरु भी अर्जुन को जीवन का यथार्थ नहीं सिखा पाए. तब भगवान को विराट रूप का दर्शन देना पड़ा. उनके दर्शन मात्र से अर्जुन का सारा भ्रम खत्म हो गया. इसलिए किसी को व्याख्यान देकर भारत नहीं समझाया जा सकता, वह 2-3 दिन के लिए कुंभ चला जाए, उसे भारत समझ में आ जाएगा.
आज कुंभ का नैरेटिव माला बेचने वाली मोनालिसा: केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज कुंभ का नैरेटिव अलग ही बन रहा है. उसकी भव्यता और दिव्यता को माला बेचने वाली मोनालिसा के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. कुंभ का धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पक्ष भी विश्व के समक्ष जाए, इसलिए मैंने ये डिसाइड किया कि मैं प्रतिदिन एक आर्टिकल लिखूंगा. भारत ने पिछले दस साल में तरक्की की है. पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है.
नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर बोले केंद्रीय मंत्री
भारत एक्सप्रेस के सीएमडी उपेंद्र राय ने केंद्रीय मंत्री से पूछा- नालंदा विश्वविद्यालय के जीर्णोद्धार के प्रयास और संरक्षण को लेकर सरकार ने प्रयास किया. इससे पहले ऐसे क्यों नहीं होता था? इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा भारत विश्व की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक चेतनाओं का केंद्र हुआ करता था. भारत की हजारों साल की यात्रा में भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था, विज्ञान और स्थापत्य कला का केंद्र था. इस पूरी यात्रा में भारत का सबसे बड़ा बिंदु कुछ था, तो वह नालंदा विश्वविद्यालय था.
कैसे आया भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का समय
नालंदा विश्वविद्यालय को तोड़ा गया और उसकी लाइब्रेरी को जला दिया गया. अगर आजादी के बाद भारत में कोई निर्माण होना चाहिए था, वह भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय का होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से बीच का कालखंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक लोगों ने भारत को करुणा और दया की दृष्टि से देखा. एक लाचार गरीब की तरह देखा. भारत की तरफ सम्मान की दृष्टि से देखने वाले और विरासत पर गर्व करने वाले लोगों के पास जब कलम की ताकत आई, तब आज भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का समय आया है.
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय का पूरा इंटरव्यू यहां देखिए…