Donald Trump: इस समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के दौरे पर हैं, जहां वो एआई समिट में हिस्सा लेंगे. इसके बाद वो अमेरिका के लिए रवाना हो जाएंगे, लेकिन पीएम मोदी का अमेरिका में प्लेन लैंड करता इससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक ऐसे आदेश पर हस्ताक्षर किया है कि जिससे भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के चेहरे खिल उठे.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करीब 50 साल पुराने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (एपसीपीए) को निलंबित कर दिया है, जिसके तहत विदेशों में व्यापार के लिए पैसा देना अवराध की श्रेणी में नहीं आएगा. बता दें कि ये वहीं अधिनियम है, जिसके तहत उद्योगपति गौतम अडानी पर आरोप लगाया गया है.
एफसीपीए के तहत की गई कार्रवाइयों को रोकने का आदेश
इस आदेश में हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा है कि ये कानून वैश्विक मंच पर कंपनियों को नुकसान में डालता है. इसके साथ ही उन्होंने नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी को एफसीपीए के तहत की गई कार्रवाइयों को तुरंत रोकने का आदेश दिया, जिसमें अमेरिकी व्यक्तियों और कंपनियों के मुकदमे शामिल हैं जिन पर न्याय विभाग (डीओजे) ने अन्य देशों में व्यापार हासिल करने के प्रयासों में विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है.
व्यवहारिक तौर पर यह एक आपदा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कागज़ पर तो ये अच्छा लगता है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर यह एक आपदा है. अर्थात यदि कोई अमेरिकी किसी विदेशी देश में जाता है और वहां कानूनी रूप से व्यापार करना शुरू कर देता है, तो यह लगभग एक गारंटीकृत जांच अभियोग है, जिसके वजह से कोई भी अमेरिकी लोगों के साथ व्यापार नहीं करना चाहता है.
क्या है एफसीपीए?
दरअसल, एफसीपीए 1977 का एक कड़ा कानून है, जो अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को विदेशी सराकरी अधिकारियों को बिजनेस में फायदा उठाने के लिए रिश्वत देने से रोकता है. इस कानून का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय बिजनेस में नैतिकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है.
वहीं, ट्रंप के इस फैसले से अडानी ग्रुप को भी बड़ी राहत मिलेगी, जिसके खिलाफ एफसीपीए के तहत ही मामला चल रहा है. बता दें कि ट्रंप के इस आदेश के अनुसार एफसीपीए के तहत की गई कार्रवाइयों को तब तक रोक रहेगी जब तक कि वह नए प्रवर्तन दिशानिर्देश जारी नहीं करती हैं.
अडानी पर क्या आरोप लगाए गए थे?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 नवंबर को यूएस एसईसी और डीओजे ने एफसीपीए के उल्लंघन में कथित $250 मिलियन की रिश्वत योजना के संबंध में भारतीय अरबपति गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अदानी, एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के व्यापार सहयोगी सिरिल कैबेन्स और अन्य वरिष्ठ व्यापार अधिकारियों के खिलाफ समानांतर आरोपों की घोषणा की.
एसईसी का आरोप है कि अदानी ने भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहते हुए मजबूत रिश्वत विरोधी उपायों को गलत तरीके से पेश करके अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया. बता दें कि यह कथित घटना सितंबर 2021 में अदानी ग्रीन द्वारा बांड की पेशकश के दौरान हुई, जिसमें अमेरिकी निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर सहित 750 मिलियन डॉलर जुटाए गए थे.
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