Naye Bharat Ki Baat Delhi Ke Saath Mega Conclave: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क की ओर से आज ‘नए भारत की बात-दिल्ली के साथ’ कॉन्क्लेव आयोजित किया गया. इस मेगा कॉन्क्लेव में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन और राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने भी अपने विचार व्यक्त किए. दोनों ने सनातन धर्म, हिंदू समाज, मंदिरों के पुनर्निर्माण, और प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 पर व्याख्यान दिया. उन्होंने इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा भारत में किए गए अत्याचारों और 1947 के बाद हिंदुओं के हितों को नुकसान पहुंचाने वाली बातों पर भी चर्चा की.
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपने संबोधन में कहा कि आजकल बहुत-से लोग ऐसे बोलते हैं कि धर्म से हमें क्या मतलब, धर्म की जरूरत नहीं है. मगर, वे ये नहीं जानते कि धर्म का असली मतलब कर्तव्य है. उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्म कोई मजहब नहीं. ये हिंदू-मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं होता, बल्कि धर्म का तात्पर्य ‘डिवाइन ड्यूटी’ से है. कुलश्रेष्ठ ने इस बात पर जोर दिया कि सनातन धर्म, जो आदि से अनंत तक विद्यमान रहेगा, का मूल उद्देश्य मानवता और ब्रह्मांड के नियमों के पालन में है.
’70-75 सालों में झूठ को सच मानने की आदत बन गई’
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने यह भी कहा कि पिछले 70-75 सालों में हिंदू समाज को झूठ बोलने और सुनने की आदत हो गई है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आजकल कई लोग यह मानते हैं कि हिंदुत्व एक धोखा है, जबकि यह एक सत्य है. उन्होंने भारतीय समाज में सत्य बोलने की आवश्यकता पर बल दिया. पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने हेट स्पीच के मुद्दे पर भी गंभीर सवाल उठाए.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों से पूछे गए सवाल का जिक्र किया कि यदि मुसलमानों के रसूल के बारे में कोई टिप्पणी करता है, तो उसे ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकी क्यों दी जाती है? उन्होंने इस कानून पर सवाल उठाया कि क्या यह सही है कि हेट स्पीच को लेकर दंडित किया जाए, लेकिन हिंदू समाज के अधिकारों को रौंदने की अनुमति दी जाए?
‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ हक मारने को लाया गया?
पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कानून भारतीय लोकतंत्र की नींव के खिलाफ है. उन्होंने यह भी पूछा कि यदि न्यायपालिका का दरवाजा ही बंद कर दिया गया है, तो यह किस प्रकार का लोकतंत्र है?
‘नालंदा विश्वविद्यालय और भारत की प्राचीन शिक्षा’
वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने अपने संबोधन में नालंदा विश्वविद्यालय के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि नालंदा दुनिया के सबसे उत्कृष्ट विश्वविद्यालयों में से एक था, जिसे नष्ट करने वाले आततायी-आतंकवादी थे. मंदिरों के पुनरुत्थान पर बोलते हुए विष्णुशंकर जैन ने यह भी कहा कि ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ एएसआई संरक्षित स्थानों पर लागू नहीं होता. तो जो ढांचे एएसआई के कंट्रोल में हैं, वहां ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ को आड़े नहीं लाया जाना चाहिए.
‘सनातन धर्म सभी मत-मजहबों में सबसे पुराना’
इस अवसर पर भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ की बातों से सहमति जताई और कहा कि हिंदू धर्म सभी मत-मजहबों से बहुत पुराना है. उन्होंने यह भी बताया कि हिंदू धर्म की आयु लगभग 11,000 साल की है, जबकि अन्य मत-मजहबों का इतिहास अपेक्षाकृत छोटा है. इस आयोजन में यह भी बताया गया कि भारत की पहचान और उसका भविष्य सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं और कर्तव्यों से जुड़ा हुआ है. जब तक समाज अपनी जड़ें और इतिहास नहीं समझेगा, तब तक वह सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकता.
‘सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की जरूरत’
कार्यक्रम में मंच पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन और राष्ट्रवादी वक्ता पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने सनातन धर्म की अच्छाइयों, इतिहास और भविष्य पर विस्तृत रूप से चर्चा की. उन्होंने समाज में हो रहे बदलावों पर भी बात की. इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि लोगों को सनातन धर्म की महत्वता और भारतीय समाज में इसे फिर से स्थापित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जाए. कार्यक्रम के दौरान सभी वक्ताओं ने भारत के इतिहास और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने की बात की.