डिजिटल युग में विश्वास और पारदर्शिता की जरूरत, एआई एक्शन शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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S Jaishankar: एआई एक्शन शिखर सम्मेलन के इतर 14वें भारत-फ्रांस सीईओ फोरम के उद्घाटन सत्र को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संबोधित किया. इस दौरान उन्‍होंने कहा कि “शिखर सम्मेलन अपने आप में एक अनुस्मारक है कि हम एआई (कृत्रिम मेधा), सॉफ्टवेयर विकास और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में कितना कुछ कर सकते हैं. इस डिजिटल युग में विश्वास और पारदर्शिता की जरूरत है.

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और फ्रांस स्वतंत्र मानसिकता की परंपरा वाले दो देश हैं. इसे अलग-अलग समय पर रणनीतिक स्वायत्तता के रूप में या बहुध्रुवीय दुनिया के रूप में व्यक्त किया गया है. उन्‍होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम केवल एक जैसा सोचते है. हम एक-दूसरे की स्थिति को मजबूत करने और अपने सहयोग को समकालीन विश्व मामलों का एक महत्वपूर्ण तत्व बनाने के लिए भी सक्रिय रूप से प्रयास करते हैं.

विश्वास और मूल्य आधारित हैं भारत-फ्रांस के संबंध

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और फ्रांस के संबंध विश्वास-आधारित और मूल्य-आधारित हैं, इसलिए उनमें बहुत उच्च स्तर की सहजता विकसित हुई है, जो हमें सहयोग के लिए कई क्षेत्रों पर विचार करने की अनुमति देता है, जिसमें कुछ संवेदनशील क्षेत्र भी शामिल हैं. रणनीतिक साझेदारी की गुणवत्ता और रणनीतिक शब्द का आज पहले की तुलना में अधिक महत्व है.

हमारी साझेदारी की गुणवत्ता ही….

उन्‍होंने कहा कि हमारी साझेदारी की गुणवत्ता ही हमारे एजेंडे की महत्वाकांक्षी प्रकृति को प्रोत्साहित करती है. हम एक-दूसरे के साथ जितना अधिक काम करेंगे, हम अपनी स्थिति उतनी ही मजबूत करेंगे और उतना ही महत्वपूर्ण, अस्थिर और अनिश्चित समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करना है.”

‘मेक इन इंडिया’ पहल का जिक्र

इसके साथ ही उन्‍होंने ‘मेक इन इंडिया’ पहल पर जोर देतेहुए कहा कि “हम क्रेता-विक्रेता चरण से आगे बढ़कर अधिक गहन सहयोग की ओर बढ़ रहे हैं. इस संबंध में मेक इन इंडिया पहल ने कई नई संभावनाएं खोली है. समान रूप से, हमें इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में वैश्विक विमर्श को आकार देने की आवश्यकता है. ”

आईएमईसी एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम

एस जयशंकर ने कहा कि सिर्फ एक बहुध्रुवीय विश्व ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि एआई को कम से कम पूर्वाग्रह के साथ विकसित किया जाए. इसके साथ ही भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम हो सकता है.

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