मृत्यु जब अत्यन्त पास आ जाती है, तब मन भी हो जाता है बहरा गूंगा: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान हम सबके हैं, हम सब भगवान के दास हैं, भगवान के सेवक हैं, परमात्मा के अंश हैं-हम भक्तों को ऐसी भावना सतत रखना चाहिए और जीभ से सतत भगवान का नाम लेना चाहिये। जब मृत्यु बहुत समीप आती है, तब सबसे पहले बोली रुक जाती है।
मृत्यु के समय वाणी का लय मन में हो जाता है। मृत्यु के समय जीभ से जीव बोल नहीं पता, लेकिन मन से बहुत बात करता है। उस समय वासना के पीछे भागने वाला मन घर में जाता है, तिजोरी में जाता है, संसार के विषयों में जाता है और (मन में) सतत बोलता ही रहता है।जब मृत्यु अत्यन्त पास आ जाती है, तब मन भी बहरा गूंगा हो जाता है।
उस समय वाणी का लय मन में हो जाता है और मन का लय प्राण में हो जाता है। शरीर में केवल श्वांस ही चालू रहता है और उस समय हृदय में प्रकाश दिखाई देता है। हर एक के हृदय में यह प्रकाश होता है। प्रभु के इस प्रकाश से ही मानव की आँख देखती है, जीभ बोलती है और कान सुनते हैं, प्रभु की दी हुई यह दिव्य शक्ति है।
इंद्रियों को भी प्रभु का प्रकाश मिलता है, लेकिन मानव का मन बहिर्मुख होता है, इससे उसे अन्दर का प्रकाश दिखाई नहीं देता। उसका मन जब अंतर्मुख हो जाता है तभी उसको अंदर का प्रकाश दीखता है, और इस प्रकाश के आधार पर ही मन, बुद्धि और इंद्रियाँ काम करती हैं।
ज्ञानी पुरुष इस प्रकाशमय परमात्मा का ध्यान धरते हैं और प्रभु के प्यारे भक्त इस प्रकाश में प्रभु के स्वरूप को पधराकर प्रकाश के साथ ही प्रभु का ध्यान करते हैं। परमात्मा की मूर्ति आंखों में, मन में बस जाय और पीछे अन्त समय उसी प्रभु-मूर्ति पर ध्यान केंद्रित हो जाय तो बेड़ा पार हो जाता है। जो लोग सगुण भक्ति को, मूर्तिपूजा को गौण मानते हैं, वे ज्ञानी हों या योगी हों तो भी उनका मरण बिगड़ जाता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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