Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कथा में श्रवण किए हुए को आचरण में उतरें तो ही उसकी सार्थकता है। श्रवण भक्ति से पाप जलते हैं, मन का मैल धुलता है और प्रभु का प्रेम जाग्रत होता है। कथा सुनने के बाद जीवन में परिवर्तन आना चाहिए।
कथा का श्रवण पुण्य प्राप्त करने के लिए ही नहीं, दुर्वृति की समाप्ति के लिए भी करना चाहिए। जीवन में क्रांति लाने के लिए ही कथा सुनना चाहिए। यदि कथा सुनने के बाद जीवन में नई चेतना न आए और नए जीवन की शुरुआत न हो, तो कथा सुनना पूर्ण सार्थक नहीं हुआ।
जगत की व्यथा को दूर रखकर ही कथा में बैठना चाहिए।कथा में सुने हुए को क्रिया में उतरें, तो ही वह काम का है। जहां गरीब का सम्मान है और नीति का धन है, वह घर बैकुंठ के समान है। यह घर हमारा नहीं प्रभु का प्रेम मंदिर है इस भावना से इसमें रहो। मनुष्य मालिक नहीं, प्रभु का मुनीम है। घर में आसक्त हुए बिना ही सगे सम्बन्धियों की सेवा करो।
परिवार में त्याग, सेवा, सुमिरण की प्रधानता होनी चाहिए। दम्पति को नाविक और नाव की तरह संसार सागर पार करना चाहिए। प्रभु को प्राप्त करने के लिए घर नहीं, आसक्ति छोड़ने की जरूरत है। आपका घर ठाकुर जी का मंदिर बन जाए, इस तरह जीवन व्यतीत करो।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).