अत्याचारों के दस्तावेज सुरक्षित रखे जाएं… शेख हसीना के खिलाफ मोहम्मद यूनुस की नई चाल

Raginee Rai
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Bangladesh: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने एक बार फिर पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ नई चाल चली है. मोहम्‍मद यूनुस ने हसीना प्रशासन के दौरान किए गए कथित अत्याचारों के दस्तावेजों को संरक्षित करने का आह्वान किया है. ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार की खबर के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मोहम्‍मद यूनुस ने इस बात पर जोर दिया कि उचित आर्काइव मैनेजमेंट सिस्टम के बिना ‘सच्चाई जानना और न्याय सुनिश्चित करना मुश्किल है.’

अत्याचारों के शिकार हुए लोग?

मुख्य सलाहकार यूनुस की ‘प्रेस शाखा’ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र की ‘रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर’ ग्वेन लुईस और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हुमा खान के साथ बातचीत के दौरान मोहम्‍मद यूनुस ने शापला चत्तर में प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई, डेलवर हुसैन सईदी के फैसले के बाद प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता और सालों की कथित हत्याओं का हवाला दिया.

वहीं, इसके जवाब में यूएन के अधिकारियों ने मानवाधिकारों के हनन के दस्तावेजीकरण में बांग्लादेश की मदद करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की. तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण में यूएन की विशेषज्ञता की पेशकश करते हुए लुईस ने कहा कि यह (अत्याचारों के शिकार लोगों को) मरहम लगाने और सत्य-निर्माण की एक प्रक्रिया है.

रोहिंग्या पर हुई चर्चा

मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल के विद्रोह के बाद मानवाधिकार उल्लंघन पर संगठन की हालिया रिपोर्ट की भी प्रशंसा की, जिसने अवामी लीग के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया. लुईस के मुताबिक, मानवाधिकारों के लिए यूएन के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क 5 मार्च को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के सेशन में दस्तावेज पेश करेंगे. मोहम्‍मद यूनुस ने कहा कि, ‘‘हमें बहुत खुशी है कि संयुक्त राष्ट्र ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है, यह वक्‍त पर हुआ.’’ इस दौरान रोहिंग्या शरणार्थियों की दुर्दशा पर भी चर्चा हुई, जिसमें लुईस ने घटती अंतरराष्ट्रीय मदद पर चिंता जाहिर की.

यूएन महासचिव करेंगे बांग्लादेश का दौरा

जानकारी दें कि यूएन महासचिव एंटोनियो गुतारेस 13 से 16 मार्च तक बांग्लादेश का दौरा करेंगे. लुईस ने उम्मीद जताई कि गुतारेस की यह यात्रा शरणार्थी संकट पर दुनिया का ध्यान खींचेगी. लुईस ने कहा कि हम धन की स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं.’’ उन्होंने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को खाद्य आपूर्ति और अन्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रति माह 150 लाख अमरीकी डॉलर की जरूरत है.

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