भक्ति को गौण समझने वाले योगी और ज्ञानी का होता है पतन: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्ति से ही ज्ञान परिपूर्ण होता है और योग भी भक्ति से ही सफल होता है। भक्ति रहित ज्ञान और भक्ति रहित योग मृत्यु को बिगाड़ता है। परमात्मा के किसी भी सगुण स्वरूप में आंख और मन को फंसा दें। यदि नहीं फंसावेंगे तो अंतकाल में संसार का कोई लौकिक चित्र ही दिखेगा और ज्ञानी हो या योगी उसकी मृत्यु बिगड़ जायेगी।
श्रीमद्भागवत महापुराण में राजर्षि भरत जी की कथा है। भारत की महानज्ञानी थे और महायोगी भी थे। लेकिन उनकी आंख और मन प्रभु के सगुण स्वरूप में नहीं फंसे थे, इसलिए अंतकाल में उनका चित्त हिरण के चित्र में फंस जाने से महाज्ञानी और महायोगी होने पर भी उनका मरण बिगड़ गया।
भक्ति को गौण समझने वाले योगी और ज्ञानी का पतन होता है। ज्ञानमार्ग हो या योगमार्ग, कर्ममार्ग हो या कोई भी मार्ग हो, श्रीराम-श्रीकृष्ण की सेवा-पूजा अथवा स्मरण बिना प्रभु के पास पहुंच नहीं सकते। परमात्मा से अतिशय प्रेम न करने वाले ज्ञानी का ज्ञान और योगी का योग अन्त समय पर दगा देता है।
श्रीभरतजी के अन्तकाल में हिरण का चित्र दिखाई देने के बदले यदि श्रीहरि दिखाई देते तो उनका बेड़ा पार लग जाता। परन्तु मृत्यु-शैय्या पर उनको प्रभुस्वरूप दिखाई देने के बदले हिरण का चित्र दिखाई दिया, इसलिए हिरण के पेट में जाना पड़ा। अपने सनातन धर्म में मूर्ति पूजा को बहुत महत्व दिया गया है।
यह (सनातन धर्म) कहता है कि परमात्मा के किसी भी स्वरूप के साथ प्रेम करना ही होगा। इस तरह के प्रेम करने के लिए प्रभु का कोई-सा भी स्वरूप पसन्द करलो और पीछे उस स्वरूप की मूर्ति की रोज सेवा-पूजा और भक्ति द्वारा सच्चे दिल से प्रेम करना आरम्भ कर दो। संसार के सब आकार माया से बने हैं, जबकि श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसे प्रभु के विविध स्वरूप माया रहित शुद्ध है।
संसार का सौंदर्य मन को बिगाड़ने वाला और विकार बढ़ाने वाला है, जबकि परमात्मा का सौंदर्य मन को शान्त करने वाला और वासना का विनाश करने वाला है। परमात्मा के स्वरूप में आंखें और मन फँस जाते हैं तभी ये स्थिर हो जाते हैं। ऐसा अगर हो गया तो मानव जीवन पाना सार्थक हो गया।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
Latest News

विकास भारती बिशुनपुर में 4 दिवसीय औषधीय पौधों पर अभ्यास शिविर का किया गया आयोजन

विकास भारती बिशुनपुर में अखिल भारतीय वनौषधि अभ्यास मंडल टीम द्वारा 4 दिवसीय औषधीय पौधों पर अभ्यास शिविर का...

More Articles Like This